दिल्ली जाने का सपना भी नहीं देखा था
दिल्ली जाना तो दूर, मैंने कभी ऐसा सपना भी नहीं देखा,” झुन्नीबाई ने अपनी दिल्ली यात्रा के बारे में भावुक होकर कहा। केंद्र सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा उन्हें गणतंत्र दिवस परेड में विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है। झुन्नीबाई ने ट्रेन से वन विभाग के अधिकारियों के साथ दिल्ली के लिए यात्रा शुरू की है। उनकी यह यात्रा न केवल उनके लिए, बल्कि पूरे पेंच टाइगर रिजर्व के लिए गर्व का क्षण है। वनकर्मी और ग्रामीण इस खबर से बेहद उत्साहित हैं।
साहस और समर्पण की मिसाल
पुलपुलडोह की निवासी झुन्नीबाई गोंड आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखती हैं। उनके पति स्वर्गीय मक्खन उइके के निधन के बाद भी, उन्होंने अपने परिवार और कर्तव्य दोनों को संभाला। झुन्नीबाई के लिए जंगल और वहां के वन्यजीव केवल उनकी नौकरी का हिस्सा नहीं, बल्कि उनकी जिंदगी का अहम हिस्सा बन गए। उनके कार्यकाल में कई बार खतरनाक जानवरों का सामना करना पड़ा। मगर, अपने साहस और कर्तव्यनिष्ठा से उन्होंने हर मुश्किल को पार किया। उनकी इस समर्पण की गूंज अब राष्ट्रीय स्तर पर सुनाई दे रही है।
गांव से लेकर दिल्ली तक की प्रेरणा
झुन्नीबाई का दिल्ली पहुंचना, विशेष रूप से आदिवासी और ग्रामीण महिलाओं के लिए, एक प्रेरणादायक संदेश है। यह दिखाता है कि सच्ची मेहनत और समर्पण किसी को भी अनदेखा नहीं रहने देता। रजनीश सिंह का कहना है कि यह झुन्नीबाई के साहस और कर्तव्य का सम्मान है। उनका काम हम सभी के लिए प्रेरणादायक है। गणतंत्र दिवस के इस अवसर पर झुन्नीबाई का विशेष अतिथि बनना, न केवल उनके लिए, बल्कि पूरे छिंदवाड़ा और मध्यप्रदेश के लिए गर्व का विषय है। यह साबित करता है कि जंगलों में काम करने वाली महिलाएं भी अपने साहस और मेहनत से राष्ट्रीय पहचान बना सकती हैं।