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छतरपुर

इस बार 14 जनवरी को मनेगा मकर संक्राति पर्व, बुंदेली मिठास घोलेगे घडिय़ा घुल्ला

मकर संक्राति का पर्व 14 जनवरी को मनाया जाएगा। इसके लिए दुकानों पर मिष्ठान, खिलौने बिकने लगे हैं तो वहीं इस पर्व से जुड़े पतंग उत्सव के कारण भी बाजार में रंगबिरंगी पतंगे दिखाई देने लगी हैं।

छतरपुरJan 12, 2025 / 10:31 am

Dharmendra Singh

makrket

घडिय़ा घुल्ला की दुकान सजी

छतरपुर. मकर संक्राति का पर्व 14 जनवरी को मनाया जाएगा। इसके लिए दुकानों पर मिष्ठान, खिलौने बिकने लगे हैं तो वहीं इस पर्व से जुड़े पतंग उत्सव के कारण भी बाजार में रंगबिरंगी पतंगे दिखाई देने लगी हैं। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करते ही मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। इसे वर्ष का पहला त्योहार माना जाता है। इस त्योहार पर पतंग उड़ाने की परंपरा भी है। छतरपुर में हनुमान टौरिया प्रांगण में मकर संक्रांति पर सामूहिक पतंग महोत्सव का आयोजन भी किया जाता है।

15 दिन तक रहेगी मिठास


संक्रांति पर श्रद्धालु गर्म कपड़े, बर्तन, तिल, गजक, खिचड़ी और सौभाग्य की सामग्री का दान किया जाता है। लेकिन बुंदेलखंड में घडिय़ा घुल्ला की पारंपरिक मिठास घुलेगी। शक्कर और रंगों का इस्तेमाल कर पशु, पक्षी और देश के प्रसिद्ध स्मारकों की आकृति देकर मिठाई से बनाई जाती है। जिसे घडिय़ा घुल्ला कहते हैं। मकर संक्रांति के 5 दिन पहले से ही इसको तैयार किया जाने लगता है, मकर संक्रांति के दिन इसका पूजन होता है और फिर पूरे 15 दिन तक घडिय़ा घुल्ला पूरे इलाके में मिठास फैलाती है। घडिय़ा घुल्ला से धार्मिक मान्यताएं और संस्कृति भी जुड़ी हुई है, जानकार बताते हैं कि इसका प्रचलन महाभारत काल के बाद बढ़ा और अबतक घडिय़ा घुल्ला अपनी मिठास से लोगों को लुभा रही है।

चाइनीज मांझे की बिक्री शुरू, बढ़ेगा खतरा


मकर संक्रांति के मौके पर होने वाली पतंगबाजी कई बार गंभीर दुर्घटनाओं की वजह बन जाती है। पतंगबाजी के दौरान इस्तेमाल होने वाला मांझा दुर्घटनाओं को आमंत्रण देता है। प्रशासन ने चाइनीज मांझे की बिक्री पर रोक लगा रखी है फिर भी शहर की अनेक दुकानों पर चाइनीज मांझा बेचा जा रहा है। इस मामले में स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं की जानकारी के आधार पर पुलिस ने चाइनीज मांझे की जांच-पड़ताल शुरू कर दी है।

व्यापारियों के सुख, अनाज मंदा, राजा-प्रजा की वृद्धि का कारक होगी मकर संक्रांति


आगामी 14 जनवरी मंगलवार को मकर संक्राति का पर्व आ रहा है। यह पर्व व्यापारियों को सुख देने वाला होगा लेकिन किसानों के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। राजा-प्रजा में वृद्धि के संकेत मिले हैं। विद्वानों के मुताबिक राशियों में लाभ और हानि का योग बना है। पं. हरिओम नायक आचार्य ने मकर संक्रांति के स्नान के बारे में बताया कि 14 जनवरी को दिन में 3:45 बजे मकर संक्रांति स्नान का योग है। रात्रि 11:45 बजे तक विशेष पुण्यफल काल है तथा सामान्य पुण्यकाल सूर्योदय से सूर्यास्त तक रहेगा। इस बार संक्रांति सूकर वाहन पर आई है, संक्रांति का उपवाहन बैल है। यह पूर्व से पश्चिम की ओर गमन कर रही है। संक्रांति के माथे पर चंदन का लेपन है और चांदी का आभूषण पहने है। आचार्य के मुताबिक संक्रांति तांबा पात्र लिए है, जबकि भोजन भिक्षान्न है। संक्रांति के फल के बारे में विचार करें तो मासफल के मुताबिक सभी लोग सुखी रहेंगे। मांगलिक कार्यों में वृद्धि होगी। वाहनफल के अनुसार व्यापारियों को सुख, अनाज मंदा तथा राजा-प्रजा की वृद्धि दर्शाता है। उपवाहन फल पर नजर डालें तो गाय आदि पशुओं का नाश, किसानों को कष्ट दर्शाता है। संक्रांति के आगमन में पूर्व देशवासी सुखी रहेंगे, गमन के दौरान पश्चिम के राजाओं में संग्राम की चिंता बनी रहेगी। आचार्य ने बताया कि मकर संक्रांति में षटतिल का विशेष महत्व है, इसके मुताबिक तिल से स्नान, तिल का उबटन, तिल का लेपन, होम, तिल दान और तिल का भोजन आवश्यक है।

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