जिला मुख्यालय पर भी नहीं दे रहे ध्यान
छतरपुर शहर में करीब पौने 3 लाख लोग निवास करते हैं। लगातार शहर के अंदर गिर रहे जब स्तर को रोकने के लिए कुछ समाजसेवियों ने रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के लिए प्रयास किए, लेकिन धीरे-धीरे व्यवस्था में लगे अधिकारी, कर्मचारी इसे भूल गए। अब स्थिति यह है कि सरकारी भवन हो या फिर प्राइवेट वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम कहीं पर भी नजर नहीं आते। जिले में गिरते जलस्तर की बीते 10 सालों की रिपोर्ट भयावहता का संकेत दे रही है। हर साल 4 फीट तक जल स्तर गिर रहा है। इसके बावजूद न जनता चेत रही है और न ही जनप्रतिनिधि। प्रशासन के जिम्मेदार अफसर भी भू-जल को रीचार्ज करने के प्रति गंभीर नहीं हैं। वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम कलेक्टोरेट के एक हिस्से में दिखाई देता है, वह भी छतिग्रस्त पड़ा हुआ है। पिछले दिनों जिला मुख्यालय पर कई नए भवनों को निर्माण शासन द्वारा कराया गया, पर इन सभी भवनों में नियमों की अनदेखी करते हुए हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं लगाया गया।
558 पंचायतों सहित नगर पालिका भवनों में भी नहीं वॉटर हार्वेस्टिंग
गिरते जल स्तर के कई कारण है, लेकिन प्रमुख कारण शहर में कई स्थानों पर हुई बोरिंग है। जिले में पिछले 15 वर्षो में शहर के अंदर बड़ी मात्रा में बोर कराए गए। यह भूमिगत जल स्तर के लिए घातक साबित हो रहे हैं। वाटर हार्वेस्टिंग को लेकर भी शासन-प्रशासन द्वारा गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है। जिले की 558 ग्राम पंचायतों, 12 नगर परिषद और 3 नगर पालिका परिषद में से किसी भी निकाय द्वारा पानी संरक्षण के लिए वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं लगवाए गए हैं।
नगरीय निकाय के दफ्तर बहा रहे हजारों गैलन पानी
जिला मुख्यालय पर बने नगर पालिका भवन में भी वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं है। तात्कालीन कलेक्टर संदीप जीआर ने मई माह में ही मींटिंग में सभी विभागों के प्रमुखों को वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम चालू करने के निर्देश दिए थे। जिस पर जिला शहरी अभिकरण अधिकारी ने सभी निकायों को पत्र लिखकर वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम एक्टिव करने के निर्देश दिए थे। जिस पर छतरपुर नगर पालिका ने अपने ऑफिस का सिस्टम शुरू करा दिया। लेकिन जिले के बाकी 14 निकायों में अभी भी वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम शुरू नहीं हो सका है।
नगरपालिका के कॉम्पलेक्सों में भी व्यवस्था नहीं
नगरपालिका के कॉम्पलेक्सों में भी कहीं पानी संरक्षण के कोई इंतजाम नहीं हैं। शहर के अंदर नगर पालिका द्वारा जवाहर रोड पर सांतरी तलैया के पास, किशोर सागर तालाब के पास 2 और ऑडिटोरियम भवन के पास एक कॉम्पलेक्स बनाया गया है। इसके साथ ही महोबा रोड, बस स्टैंड एक और दो, पुराना पन्ना नाका, छत्रसाल चौराहा, सटई रोड, पुरानी गल्ला मंडी सहित करीब 25 कॉम्पलेक्स बनाए गए हैं। इन सभी कॉम्पलेक्स की सैकड़ों दुकानों से नगर पालिका छतरपुर को लाखों रुपए की प्रतिमाह आमदनी होती है। पर विभाग द्वारा इनमें हार्वेस्टिंग सिस्टम फिट नहीं कराए गए हैं।
इन बड़े सरकारी भवनों में भी नहीं है हार्वेस्टिंग सिस्टम
जिला अस्पताल परिसर में 14 हजार वर्गफीट में अस्पताल भवन पीडब्लूडी की शाखा पीआइयू द्वारा बनाया गया है। यह पंाच मंजिला भवन सेंट्रलाइज एसी सहित अन्य आधुनिक सुवधाओं से लैस है, पर इस भवन में पीआइयू द्वारा वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम फिट नहीं किया गया है। इस कारण बारिश के दौरान छत से निकलने वाला पानी परिसर से होते हुए बाहर जाकर बरबाद हो जाता है। इसी प्रकार पीडब्लूडी की शाखा पीआइयू द्वारा सागर रोड पर नया यातायात भवन, जवाहर रोड पर नया तहसील भवन, एसपी कार्यालाय के बगल में रजिस्ट्रार कार्यालय सहित कई सरकारी भवनों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं लगाए गए हैं।
इनका कहना है
नगरीय निकायों को वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम एक्टिवेट करने के लिए परियोजना से पत्र जारी किए गए थे। छतरपुर नगरपालिका ने सिस्टम चालू कर लिया है। बाकी निकायों में सिस्टम को शुरू करने की प्रक्रिया की जा रही है। एक बार फिर सभी को रिमांइडर भेजकर वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को दुरुस्त रखने को कहा जा रहा है।
साजिदा कुरैशी, पीओ, डूडा