दूर-दराज के किसान सबसे ज्यादा हो रहे थे लाभांवित जिले में अधिकतर किसान दूर दराज निवास करते हैं, फिर चाहे 101 किमी दूर स्थित गौरिहार उप तहसील के 31 गांव हो, 80 किमी दूर बकस्वाहा के 24 गांव या फिर राजनगर क्षेत्र के गांव हो। सभी किसान कृषि विज्ञान केंद्र पर मौसम और फसलों की उन्नत किस्म की जानकारी लेने नहीं पहुंच पाते हैं। जानकारी के अभाव में किसान खेती का नुकसान नहीं बचा पाते हैं। इसी को देखते हुए कृषि विभाग ने चौपाल में एकत्रित किसानों से उनके मोबाइल नंबर एकत्रित किए। जिले के 2 लाख 67 हजार किसान खेती किसानी का कार्य करते हैं। इन सभी किसानों के नंबर मोबाइल नंबर में डालकर एक क्लिक के जरिए मौसम, फसल, मछली, उद्यानिकी आदि की जानकारी मैसेज के जरिए भेजी जा रही थी। जो अब बंद हो गई है।
2018 से मिल रहा था लाभ मऊसहानिया में वर्ष 2018-19 में बनाई गई यूनिट से किसानों को मदद मिलती रही है। दरअसल इकाई का संचालन केंद्रीय मौसम विभाग और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा किया जाता रहा है, लेकिन अब इन दोनों संस्थानों ने इकाइयों के संचालन से हाथ खड़े कर दिए। दरअसल भारत सरकार ने ब्लॉक स्तर से लेकर जिला स्तर तक किसानों को मौसम पूर्वानुमान के बारे में जानकारी देने के लिए देश भर में ऑटोमैटिकवेदर सिस्टम को कृषि मौसम सेवा इकाई के नाम से शुरू किया था । इसका संचालन कृषि विज्ञान केन्द्र से शुरू हुआ। जिसमें पदस्थ मौसम वैज्ञानिक ब्लॉक स्तर से लेकर जिला स्तर की रिपोर्ट शामिल करते थे। तब सिर्फ 1000 किसानों को संदेश भेजने की शुरूआत की गई थी। यह संख्या बढकऱ 2 लाख 67 हजार तक पहुंच गई, लेकिन अब योजना ही बंद हो गई। ग्रामीण कृषि मौसम सेवा के तहत जिला कृषि मौसम यूनिटों की सेवाओं को बंद करने के संबंध में आदेश पिछले साल जारी हुआ था। इसमें प्रदेश की मऊसानिया सहित मप्र की 14 इकाइयां और देशभर में 199 इकाइयां शामिल रही।