scriptस्कूल शुरू हुए, लेकिन निर्धारित वजन से ज्यादा भारी बस्तों की नहीं हो रही जांच | Patrika News
छतरपुर

स्कूल शुरू हुए, लेकिन निर्धारित वजन से ज्यादा भारी बस्तों की नहीं हो रही जांच

बच्चों के बस्ते आठ से लेकर दस किलोग्राम वजन के हो गए हैं। इससे न सिर्फ बच्चों की सेहत प्रभावित हो रही है, बल्कि मानसिक रूप से भी तनाव जैसी समस्याएं बढ़ती जा रही हैं।

छतरपुरJun 20, 2024 / 11:04 am

Dharmendra Singh

school

बच्चों की सेहत प्रभावित हो रही

छतरपुर. नाजुक कंधों पर बस्तों का बोझ ढो रहे बच्चों की राह मुश्किल हो गई है। आलम यह है कि फस्र्ट से लेकर पांचवी तक के बच्चों के बस्ते आठ से लेकर दस किलोग्राम वजन के हो गए हैं। इससे न सिर्फ बच्चों की सेहत प्रभावित हो रही है, बल्कि मानसिक रूप से भी तनाव जैसी समस्याएं बढ़ती जा रही हैं। यही नहीं कम आयु में अधिक बोझ उठाने से बच्चों की लंबाई पर भी असर पड़ रहा है। मेडिकल साइंस ने जहां बच्चों के लिए बेहतर शैक्षिक माहौल बनाने की दशा में तनाव मुक्त शिक्षा की वकालत की है, वहीं वास्तविक स्वरूप इसके उलट है। नया शैक्षणिक सत्र शुरू हो गया है, लेकिन बस्तों के वजन की जांच नहीं की जा रही है।
सेहत पर पड़ रहा असर

अभिभावकों में अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाने की होड़ सी मची हुई है। इसके चलते अभिभावक बच्चों को दाखिला प्राइवेट स्कूलों में करा रहे है। इसी का लाभ लेते हुए स्कूल संचालक बच्चों से मनचाही फीस तो वसूल ही रहे है। साथ ही अनावश्यक रुप से उन्हें किताबें देकर उनका बस्ता भारी करने का काम भी कर रहे है। हालत यह है कि पांच वर्ष तक बच्चों को भी चार से पांच किलो तक बस्ता लाद दिया जा रहा है। अभिभावकों को भी बच्चों को सेहत की परवाह नहीं है वहीं बच्चा भारी बस्ते का बोझ उठाने को मजबूर है। शाम को स्कूल से आकर बच्चे इतने थक जाते है कि वह खाना तक भी सही नहीं खा पाते हैं। प्रत्येक दिन इस तरह दिनचर्या के चलते बच्चों की सेहत पर असर पड़ रहा हैं, लेकिन इस तरफ किसी ध्यान नहीं है। चिकित्सक भी बच्चों की लंबाई कम होने की वजह भारी बस्ता मानकर लोगों को बस्ते का बोझ कम करने की सलाह दे रहे है।
राज्य शासन के है आदेश


राज्य शासन ने प्राथमिक कक्षाओ से लेकर दसवीं तक बच्चों के बस्ते का वजन निर्धारित किया गया है। शासन के निर्देश पर सभी स्कूलों को पत्र लिखकर शासन के निर्देशानुसार वस्ते का वजन लागू करने के निर्देश दिए गए हैं। लेकिन नियम का पालन स्कूलों में नहीं कराया जा रहा है। कंप्यूटर, नैतिक शिक्षा और सामान्य ज्ञान की कक्षाएं बिना पुस्तकों के लगानी है, लेकिन इन पुस्तकों का भार भी बच्चों पर लादा जा रहा है।
ये निर्धारित किया गया बस्तों का वजन


पहली कक्षा से लेकर पांचवी कक्षा तक के बच्चों के लिए 1.6 किग्रा से 2.5 किग्रा वजन तय किया गया है। इसी तरह 9वीं और 10वीं के बच्चों के बस्ते का वजन 4.5 किलोग्राम तक होगा। नई नीति और आदेश के मुताबिक प्राइमरी स्कूल के बच्चों के बैग का वजन ढाई किलो से ज्यादा नहीं होगा। अभी तक प्रदेश के सभी सरकारी, गैर सरकारी और अनुदान प्राप्त स्कूलों में 2019 के आदेश के तहत बस्ते का वजन निर्धारित था लेकिन नए आदेश के मुताबिक अब बच्चों पर बस्तों और होमवर्क का बोझ कम होगा और स्कूल के बस्ते का बोझ भी कम होगा। गौरतलब हो कि, स्कूल शिक्षा विभाग ने 2019 के आदेश को रद्द कर नए सिरे से अपनी स्कूल बैग पॉलिसी 2020 जारी की है।
होमवर्क को लेकर भी निर्देश


जानकारी के मुताबिक अब स्कूल के बच्चों के बस्तों में प्रदेश सरकार और एनसीईआरटी द्वारा निर्धारित की गईं किताबें ही रखी जाएगी। रोचक बात ये है कि स्कूलों में दूसरी कक्षा तक के विद्यार्थियों को होमवर्क भी नहीं दिया जा सकेगा। ताकि बच्चे मानसिक रूप से आजाद रहकर अपना बचपन बोझिल न बना लें। वहीं बात अगर कक्षा 3 से 5वीं तक की करें तो सरकार ने कक्षा 2 से उपर तक के लिए भी होमवर्क के नियम निर्धारित कर दिए हैं। कक्षा 3 से 5वीं कक्षा तक सप्ताह में 2 घंटे, कक्षा 6वीं से कक्षा 8वीं तक प्रतिदिन 1 घंटे और कक्षा 9वीं से कक्षा 12वीं तक के बच्चों को हर दिन अधिकतम 2 घंटे का होमवर्क ही देना होगा।
फैक्ट फाइल


पहली कक्षा- 1.6-2.2 किग्रा
दूसरी कक्षा- 1.6-2.2 किग्रा
तीसरी कक्षा- 1.7-2.5 किग्रा
चौथी कक्षा- 1.7-2.5 किग्रा
पांचवीं कक्षा- 1.7-2.5 किग्रा
छठवीं कक्षा- 2-3 किग्रा
सातवीं कक्षा- 2-3 किग्रा
आठवीं कक्षा- 2.5-4 किग्रा
नौवीं कक्षा- 2.5-4 किग्रा
दसवीं कक्षा- 2.5-4.5

इनका कहना है
जिले के सभी शासकीय, अशासकीय स्कूलों को शासन के निर्देशों सहित पालन के लिए पत्र लिखा गया है। स्कूल में बच्चे के बस्ते का निर्धारित वजन ही स्वीकृत होगा।
एमके कोटार्य, जिला शिक्षा अधिकारी

Hindi News/ Chhatarpur / स्कूल शुरू हुए, लेकिन निर्धारित वजन से ज्यादा भारी बस्तों की नहीं हो रही जांच

ट्रेंडिंग वीडियो