दिवारी और पाई डंडा नृत्य का एक अद्भुत नजारा बुंदेलखंड की आस्था का केंद्र खजुराहो के मतंगेश्वर मंदिर में देखने को मिलता है। जहां पूरे बुंदेलखंड से लोग यहां दर्शन, नृत्य प्रदर्शन करने आते हैं। दिवारी नृत्य में युद्ध कला का प्रदर्शन करते हुए योद्धा अपने प्रतिद्वंदियों पर लाठियों से हमला भी करते हैं। इसके लिए अपने प्रतिद्वंदी को पहले युद्ध के लिए ललकारा जाता है। अपने कई प्रतिद्वंदियों द्वारा किये जाने वाले लाठी के प्रहार को रोककर अपनी रक्षा करता है और स्वयं उनपर प्रहार करता है। वहीं, पाई डंडा एक प्रकार का युद्ध कौशल है। आपको बता दें कि पाई डंडा और दीवारी नृत्य को मार्शल आर्ट्स का जन्मदाता भी माना जाता है।
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नृत्य की खूबियां
नृत्य की खास बात ये है कि, सबके पास मयू पंख या लाठी होती है। नेकर में घुंघरू और कमर में पट्टा बांधकर प्रतिद्वंदी आमने सामने आते हैं। आंखों के इशारों पर लाठी से प्रहार किया जाता है। प्रतिद्वंदियों जिमनास्टिक के साथ साथ हैरतअंगेज करतब भी दिखाते है।