शीतलहर और पाले का पड़ रहा प्रभाव
अभी तक छतरपुर जिले में शीतलहर का असर खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में देखा गया है, जहां पर लोग खेतों में काम करने के लिए बाहर निकलते हैं। सुबह और शाम के समय घना पाला और कुहासा दृश्यता को बहुत कम कर देता है, जिससे यातायात में भी दिक्कतें पैदा हो रही हैं। विशेष रूप से किसानों को इस मौसम में फसलों को बचाने के लिए काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
स्वास्थ्य पर प्रभाव
मौसम के इस बदलाव ने स्वास्थ्य के मोर्चे पर भी असर डाला है। जुखाम, खांसी, बुखार और सांस संबंधी समस्याओं की शिकायतों में वृद्धि हुई है। स्वास्थ्य विभाग ने जिले के अस्पतालों को अलर्ट किया है और लोगों को ठंड से बचाव के लिए जरूरी उपाय अपनाने की सलाह दी है। गर्म कपड़े पहनने, स्वस्थ आहार लेने और दिन में हलका व्यायाम करने की सलाह दी जा रही है।
शीतलहर से बचाव के उपाय
गर्म कपड़े पहनें- सर्दी से बचने के लिए ऊनी कपड़े, मफलर और गर्म जूते पहनें।
गरम पानी पिएं- खासकर सुबह के समय में गरम पानी या चाय पीने से सर्दी से राहत मिलती है।
सडक़ पर सतर्कता- सडक़ पर कुहासा होने की वजह से सडक़ दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ सकता है, इसलिए ड्राइवरों को वाहन धीमी गति से चलाने की सलाह दी गई है।
खेतों में काम करते वक्त सावधानी बरतें- किसानों को पाले से फसलों को बचाने के लिए समय-समय पर फसलों का निरीक्षण करने की सलाह दी गई है।
तापमान में गिरावट के कारण जनजीवन पर ये पड़ रहा असर
शीतलहर और पाले के कारण छतरपुर शहर में भी जनजीवन प्रभावित हो रहा है। सुबह-सुबह तापमान 4-5 डिग्री सेल्सियस तक गिर चुका है, जिससे लोग सुबह जल्दी बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। रूटीन कामकाजी लोग भी ठंड से बचने के लिए देर से बाहर निकल रहे हैं। दुकानदारों और व्यापारियों को भी सर्दी के कारण अपनी दुकानों को खोलने में देरी हो रही है।
प्रशासन ने जारी किया अलर्ट
प्रशासन ने सर्दी को लेकर अलर्ट जारी किया है और लोगों से गर्म कपड़े पहनने, ठंड से बचने के उपायों को अपनाने की अपील की है। इसके अलावा राहगीरों और बेघर लोगों के लिए स्थानीय प्रशासन ने रात्रि विश्राम के लिए शेल्टर होम बनाए हैं, ताकि उन्हें ठंड से बचाया जा सके। साथ ही, यातायात पुलिस ने सडक़ दुर्घटनाओं को रोकने के लिए कुहासा वाले क्षेत्रों में ड्राइवरों को सतर्क रहने की सलाह दी है। इस समय हाईवे पर यात्रा करने वालों को खास ध्यान रखने की जरूरत है, क्योंकि घना कुहासा और शीतलहर सडक़ पर चलने में मुश्किलें पैदा कर सकता है।