वहीं झाडिय़ों में रखा एक देशी बम भी चारा समझ कर गाय ने मुंह में डाल लिया, जैसे ही इसने बम को चबाया। धमाके के साथ उसका जबड़ा उड़ गया आवाज सुन कर रमेश व आसपास काम कर रहे किसान पहुंचे व गाय रो लहुलुहान हालत में देख कर देशी इलाज की कोशिश की पर थोड़ी ही देर में गाय का दम टूट गया।गाय की मौत से दुखी रमेश ने वन विभाग को पूरे मामले की जानकारी देते हुए। खेतों में देशी बम रखने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। विभाग ने बम रखने वाले का पता लगा कार्रवाई का आश्वासन दिया।पांच दिन पहले थोल पालयम के जंगलों में देशी बम से घायल एक हथिनी को मौत हो गई थी। उसकी उम्र करीब नौ वर्ष थी।घायल हथिनी के बारे में ग्रामीणों से जानकारी मिलने पर वन विभाग की टीम ने उसे चारे में दवा दी पर देशी बम के कारण उसके मुंह में गहरे ज म हो गए थे। इसकी वजह से न तो कुछ खा पा रही थी न हीउससे पानी पिया जा रहा था। इससे वह निढाल हो गई व उसका दम टूट गया। उल्लेखनीय है कि जंगली सूअरों व हरिणों से फसल को बचाने के लिए किसान कईबार देशी बम का उपयोग करते हैं। ये बम को खाने की चीज समझ कर मुंह में लेकर चबाते है बम फटने से उनकी मौत हो जाती है।