वीएचएस चेन्नई के स्पाइन सर्जन डा.विग्नेश पुष्पराज ने बताया कि हमने एक 15 साल की लड़की का सफल इलाज किया है। वह पिछले कई सालों से स्कोलियोसिस से पीड़ित थी। कुछ समय पहले उसमें कुबड़ा विकसित हो गया। स्थिति इतनी खराब हुई कि वह सीधे सोने, आराम से चलने फिरने और यहां तक की सांस लेने की समस्या से जूझने लगी। कई सलाह के बाद भी उसकी सर्जरी नहीं की गई क्योंकि की लोवर लिम्ब में पक्षाघात की संभावना का डर था। वीएचएस में आने के बाद उसकी जांच की गई। इसके बाद सर्जरी का फैसला लिया गया। सर्जरी सफल रही और दो दिन बाद ही वह सामान्य रूप से चलने फिरने लगी।
उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी में रीढ़ में वक्रता की वृद्धि को कम करने के लिए अक्सर ब्रेसिंग पद्धति का प्रयोग किया जाता है। कई मामलों में रोगी को ब्रेस पहनने को कहा जाता है ताकि रीढ़ का पोस्चर ठीक हो। लेकिन इस रोगी के मामले में विकृति की गंभीरता के कारण ब्रेस विकल्प नहीं था। इस कारण सर्वाधिक एडवांस टेक्नालाजी का उपयोग किया गया। इसके साथ ही हास्पिटल ने स्कोलियोसिस का निशुल्क इलाज करना शुरू किया है।