पी. एस. विजयराघवन patrika.com चेन्नई. तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश के बीच राष्ट्रीय जलमार्ग-4 के रूप में बकिंघम नहर में मालवाहक व यात्री परिवहन के लिए छोटे जहाज चलाने का सपना चूर होते दिखाई दे रहा है। काकीनाडा-पुदुचेरी नहर (767 किमी) के साथ गोदावरी नदी (171 किमी) (भद्राचलम और राजमुंदरी) और कृष्णा नदी खंड (157 किमी) (वजीराबाद और विजयवाड़ा) के बीच को राष्ट्रीय जलमार्ग-4 कहा जाता है। काकीनाड़ा से पुदुचेरी खंड में ही बकिंघम है जो चेन्नई में भी बहती है और नाला बन चुकी है। केंद्र सरकार की योजना थी कि इस पर नौवहन फिर से शुरू किया जाएगा। भारतीय अन्तर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्ल्यएआई) के कराए सर्वे के बाद फिलहाल निकट भविष्य में ऐसी कोई संभावना नहीं दिखती कि इस परियोजना को पंख लगेंगे। सत्तारूढ़ द्रमुक ने 2021 के विधानसभा चुनाव के घोषणा पत्र में इस नहर के जीर्णोद्धार का वादा किया था, जो अब अधर में है। नहर का निर्माण ब्रिटिश शासन के दौरान किया गया था। उन्नीसवीं सदी के अंत और बीसवीं सदी की शुरुआत में यह नहर एक महत्वपूर्ण जलमार्ग थी। परिवहन के अन्य साधनों ने इसके महत्व को सीमित कर दिया और 20वीं सदी में यह प्रदूषित होने लगी। चेन्नई के महत्वपूर्ण इलाकों में तो यह गंदे नाले से भी बदतर है, जिसमें औद्योगिक अपशिष्ट व सीवेज प्रवाहित कर दिया जाता है। डेंगू और मलेरिया से जूझ रहे महानगर में मच्छरों की पैदावार का बड़ा स्थल भी यही नहर है।
लोकसभा में बकिंघम नौवहन परियोजना को लेकर पूछे गए प्रश्न पर पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा, ‘नहर के सर्वेक्षण के दौरान बहुत से स्थानों पर गाद जमा होने और कुछ हिस्सों में तटबंधों के समतलीकरण, गैर कार्यशील लॉक संरचनाओं, कम ऊंचाई के पुलों के साथ ही बहुत से हिस्सों में बड़ी मात्रा में अतिक्रमण का पता चला है। इसके साथ ही, पूर्वी तट के आस-पास बकिंघम नहर के समानांतर सड़क और रेल नेटवर्क का विकास हुआ है। इसलिए इसको प्रचालनरत करना नौचालन के लिए तकनीकी-वाणिज्यिक रूप से अव्यवहार्य पाया गया। बकिंघम नहर में अतिक्रमणों को हटाना तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश की राज्य सरकारों के कार्य क्षेत्र में आता है। बकिंघम नहर के बहुत से हिस्सों में बड़ी मात्रा में अतिक्रमणों के कारण इस समय कोई भी विकास कार्य परिकल्पित नहीं है।’
चक्रवाती तूफानों से क्षतिकभी इस नहर का इस्तेमाल विजयवाड़ा से मद्रास (अब चेन्नई) तक माल परिवहन में होता था। 1965, 1966 और 1976 के चक्रवातों ने नहर को नुकसान पहुंचाया, और फिर इसका उपयोग घटता चला गया। इसके अलावा अनुरक्षण नहीं होने और प्रदूषित जल को इसमें मिला दिए जाने से गाद और कचरा भरने लग गया।
भारतीय अन्तर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण के कराए सर्वे ●रा.ज.-4 में गोदावरी और कृष्णा नदियों के साथ काकीनाडा-पुदुचेरी नहर में नौचालन के विकास के लिए डीपीआर ●रा.ज.-4 की दक्षिण बकिंघम नहर के सोलिंगनल्लूर से तिरुवान्म्यूर के बीच के जलखंड के विकास के लिए अध्ययन और परियोजना प्रस्ताव
●रा.ज.-4 की दक्षिण बकिंघम नहर के सोलिंगनल्लूर से कलपाक्कम के बीच के जलमार्ग खंड के विकास के लिए प्रांरभिक इंजीनियिरंग सर्वे