सिंधु 19 साल पहले केरल के एर्नाकुलम में रेलवे में शामिल हुए थी। वहां पांच साल काम करने के बाद किन्नर का तबादला तमिलनाडु के दिंडीगुल में हो गया और वह पिछले 14 साल से वहीं काम कर रहे थी। हालांकि, सिंधु एक दुर्घटना में घायल हो गई और उन्हें रेलवे के कमर्शियल विभाग में स्थानांतरित कर दिया गया था। अब टिकट निरीक्षक के रूप में उनकी वर्तमान भूमिका का मार्ग प्रशस्त हुआ। उनकी उपलब्धि कई लोगों के लिए आशा की किरण और प्रेरणा है। यह दर्शाती है कि लचीलापन और समर्पण वास्तव में प्रतिकूल परिस्थितियों पर विजय प्राप्त कर सकता है।
कड़ी मेहनत करें किन्नर
सिंधु ने शुक्रवार को पत्रकारों से बात करते हुए कहा, “ट्रांसजेंडर लोगों को समाज में सम्मानजनक स्थान हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए। मेरा दृढ़ विश्वास है कि शिक्षा और कड़ी मेहनत के माध्यम से कोई भी ऊंचाई हासिल की जा सकती है। पहली ट्रांसवुमन टिकट निरीक्षक ने यह भी कहा, ”मुझे टिकट निरीक्षक बनने पर गर्व है और मैंने इस पद को हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत की है। बता दें कि किन्नर समुदाय को कई क्षेत्रों में समाज द्वारा अस्वीकृति और बहिष्कार का सामना करना पड़ा है। हालांकि, उन्हें थर्ड जेंडर के रूप में मान्यता देने वाले सर्वोच्च न्यायालय के ऐतिहासिक फैसले ने समुदाय को सम्मान दिया है।
भावी पीढिय़ों के लिए रास्ता बनाना
जैसे-जैसे सिंधु अपने करियर में आगे बढ़ रही हैं, वह ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए एक दृढ़ प्रेरणा बनी हुई हैं। दूसरों को शिक्षा और कड़ी मेहनत के माध्यम से अपने सपनों को आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित कर वह ट्रांसजेंडरों की भावी पीढिय़ों को बाधाओं को तोडऩे और समाज में सम्मानजनक स्थान हासिल करने के लिए प्रेरित करने की उम्मीद करती है।