चेन्नई

अधिकारी लेते रहे मलाई, जमकर कूटी चांदी

आवास योजना में अयोग्य लोगोंं ने उठा लिया फायदा

चेन्नईOct 30, 2020 / 04:13 am

ASHOK SINGH RAJPUROHIT

pmay

चेन्नई. लगता है प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमवाईए) लोगों के जेबें भरने का जरिया बन चुका है। ऐसे लोग इस योजना का फायदा उठाने लगे हैं जो इस श्रेणी में आते ही नहीं है। तमिलनाडु के पंचायत सचिव तथा कम एवं मध्यम आय वर्ग के लोग केन्द्र की ओर से पोषित की जा रही इस आवासीय योजना को खुद के लिए फायदे का सौदा बता रहे हैं। जिनके पास खुद के पहले से मकान है उन लोगों के नाम से इस योजना में आवेदन किया जा रहा है। अधिकारी कुल आवंटित मकानों में से 50 फीसदी में पैसों की चोरी कर रहे हैं। तिरुवरुर जिले के तलयमंगलम गांव का मामला ही लीजिए, अधिकारियों ने यहां पीएमएवाई के तहत 275 मकान निर्माण का दावा किया है। कई मकान केवल कागजों में ही बने है। लाभान्वितों को 1.7 लाख रुपए की सब्सिडी दी जाती है। मकानों के निर्माण के अनुसार चार चरणों में राशि का आवंटन किया जाता है।
बिना काम हुए स्वीकृति
तलयमंगलम गांव के पूर्व अध्यक्ष एवं एमडीएमडी के सचिव पी. मासिलमनी कहते हैं, अक्टूबर 2016 से दिसम्बर 2019 के बीच खूब लूट हुई है। यह वह समय था जब चुने हुए जनप्रतिनिधि स्थानीय निकाय में नहीं थे। तब ब्लॉक विकास अधिकारी (बीडीओ), पंचायत सचिव व अन्य अधिकारी ही सीधे पीएमएवाई योजना का क्रियान्वयन कर रहे थे। जब मकान का पट्टा, आधार कार्ड, राशन कार्ड व बैंक पास बुक के साथ आवेदन किया जाता है तब खुद की राशि से फाउंडेशन का काम पूरा होने पर स्वीकृति जारी की जाती है। पहली किस्त 26 हजार रुपए लाभान्वित परिवार के खाते में डाली जाती है और शेष चार किस्तों में जारी की जाती है। इस बीच लाभान्वित परिवार के खाता को अधिकारियों की ओर से दिए खाते में राशि जमा करवाई गई। यह खाते ऐसे लोगों के थे जो अधिकारियों से मिलिभगत कर तैयार करवाए गए या जिनके खातों का अधिकारियों ने दुरुपयोग किया।
चुने हुए जनप्रतिनिधियों के अभाव में पूरा दारोमदार सरकारी अधिकारियों पर रहा। ऐसे में जहां भी उनको मौका मिला जमकर भ्रष्टाचार हुआ। मासिलमनी जो 2011 से 2016 तक ग्राम पंचायत के अध्यक्ष रहे, ने कहा कि यदि ग्राम पंचायत के माध्यम से काम होता तो इस तरह की चीजें नहीं होती। हालांकि पूरी तरह से पारदर्शिता फिर भी न होती लेकिन इतने बड़े पैमाने पर धांधली भी नहीं होती।
बैंक अधिकारियों ने उन बैंक खातों को भी नहीं जांचा जो अधिकारियों की ओर से मुहैया करवाए गए थे। ऐसे में तीन से चार हजार लोगों ने 25 हजार रुपए की राशि उठा ली तथा अधिकारियों ने अपनी जेबें भरी वह अलग।
जाली दस्तावेज
तलयमंगलम के सेवानिवृत्त उप निरीक्षक के. जयचन्द्रन कहते हैं कि किस तरह पीएमएवाई फंड के तहत मृत लोगों के नाम से ऱाशि उठा ली गई। इसी गांव के निवासी के. अम्बिकापति कहते हैं, मेरे भाई की 2018 में मृत्यु हो गई। वह इस योजना के तहत नहीं आता था क्योंकि बीपीएल श्रेणी में नहीं था। लेकिन उसके नाम से जाली दस्तावेज तैयार कर लाभ उठा लिया गया। जब इस घोटाले का पर्दाफाश हुआ तो तिरुवरुर जिले के मनारगुडी ब्लॉक के चार अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया। इस घोयाल में एक बीडियो से स्पष्टीकरण मांगा गया। तिरुवरुर के डीआरडीए के सहायक परियोजना अधिकारी (एपीओ) पोन्नियिन सेलवन कहते हैं, जिला कलक्टर ने सभी बीडियो को निर्देश दिया है कि अन्य गांवों में भी जांच की जाएं कि वहां तो इस तरह की अनियमितताएं नहीं है।
केवल खानापूर्ति
उन्होंने कहा कि राशि आवंटन से पहले भवन के निर्माण के पूरा होने की विभिन्न स्टेज की जांच की जाती है। यदि लाभान्वित शर्तों को पूरी करने में असमर्थ होते हैं तो अधिकारी अन्य खानापूर्ति कर राशि हड़पने के चक्कर में रहते हैं। इसी तरह के मामले तमिलनाडु के अन्य इलाकों में भी मिले हैं। सरकार ने राशि जारी की है लेकिन यह लाभान्वितों के खाते में नहीं दर्शा रही है। पुदुकोट्टै जिले के अलादिकादु के के. मुत्थुकुमार कहते हैं, पीएमएवाई घोटाले में अवुदैयारकोइल यूनियन के 35 ग्राम पंचायतें शामिल है। जिन 192 मामलों में राशि का आवंटन किया गया हैं, वहां मकानों का निर्माण ही नहीं करवाया गया है। को-ऑपरेटिव प्रिंटिंग प्रेस के सेवानिवृत्त कर्मचारी व तंजावुर के करनतै के निवासी इलमवजुति कहते हैं, कुछ स्थानीय लोगों ने कागजों पर उसके हस्ताक्षर कर राशि उठा ली। जबकि उसने कभी भी आवेदन नहीं किया और न ही उसके नाम से मकान बनाया है।
अयोग्य आवेदक
तिरुवण्णामलै जिले के जवाधु हिल्स में 739 मकान स्वीकृत किए गए लेकिन इसमें से 353 आवेदक योग्य नहीं थे। अधिकारियों ने हरेक अयोग्य आवेदक से 10 से 15 हजार रुपए की राशि वसूल कर ली। पिछले साल 11 में 7 पंचायतों में राशि लेने वालों का निलंबन कर दिया। 16 अन्य अधिकारी जांच के दायरे में हैं। तिरुवण्णामलै जिले के कोविलुर एवंवीरापन्नुर पंचायत में भी इसी तरह के घोटाले प्रकाश में आए हैं।
मन्नारगुडी के अधिवक्ता ए. आनन्दराज कहते हैं, केन्द्र ने इस कल्याणकारी योजना को लांच करने के बाद इसके प्रभावी क्रियान्वयन की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया। सरकार आयकरदाताओं से राशि संग्रहित करती है। हर योजना में इस तरह के घोटाले देखने में आते हैं। सभी योजनाओं की मॉनिटरिंग के लिए राज्य एवं राष्ट्र स्तरीय कमेटियों का गठन किया जाना चाहिए। तभी इस तरह के घोटालों पर लगाम लगाई जा सकेगी। जिस तरह से पीएम किसान योजना घोटाले की जांच करवाई गई है, ठीक उसी तरह से पीएमएवाई घोटाले की जांच सीबीसीआईडी से करवाई जानी चाहिए।

Hindi News / Chennai / अधिकारी लेते रहे मलाई, जमकर कूटी चांदी

Copyright © 2025 Patrika Group. All Rights Reserved.