दोनों देशों ने इस उद्देश्य के लिए एक नया तंत्र विकसित करने पर रजामंदी दी है। इस तंत्र में भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और चीन के वाइस प्रीमियर ह्यू चुन्हवा शामिल होंगे। यह तंत्र चीन में आइटी व फार्मा में निवेश के अलावा विनिर्माण उद्योग में साझीदारी की संभावनाएं तलाशेगा।
विदेश मंत्रालय के सचिव विजय गोखले ने दो दिवसीय समिट के परिणाम शनिवार को संवाददाताओं से साझा किए। आरसीइपी में शामिल होने को लेकर भारत के शामिल होने संंबंध शंकाओं के समाधान के लिए चीन के राष्ट्रपति ने सहमति दी है।
होंगे ७० कार्यक्रम आयोजित
उन्होंने बताया कि चीन ने रक्षा सहयोग कार्यक्रम के विस्तार पर जोर दिया है ताकि दोनों देशों की सेना के बीच विश्वास का वातावरण पैदा हो। भारत के रक्षा मंत्री को इस संबंध में चर्चा के लिए चीन आमंत्रित किया गया है।
पीएम और जिनपिंग ने राष्ट्रों की जनता के बीच संवाद स्थापित करने के कार्यक्रम शुरू करने में रुचि दिखाई। ताकि भारतीय और चीनी के बीच आपसी समझ बढ़े। इस कड़ी में चीन गणतंत्र की ७०वीं वर्षगांठ तथा भारत-चीन के रिश्तों की स्थापना के ७० साल के उपलक्ष्य में दोनों देश ३५-३५ कार्यक्रम आयोजित करेंगे।
विदेश सचिव ने बताया कि दोनों नेताओं में जलवायु परिवर्तन, सांस्कृतिक कार्यक्रमों व रणनीतिक संचार के आदान-प्रदान, आतंकवाद, वुहान समिट के बाद की क्रियाओं, सहित अंतरराष्ट्र्रीय व रीजनल विषयों पर भी चर्चा हुई।
मोदी को न्यौता
उनके अनुसार चीन के राष्ट्रपति इस समिट में हुई उनकी अगवानी और बातचीत से पूरी तरह संतुष्ट थे तथा इस तरह की वार्ता को भविष्य में भी जारी रहने के इच्छुक दिखाए दिए। विदा होते समय उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चीन आने का न्यौता दिया।
विदेश सचिव ने मोदी और जिनपिंग के बीच कश्मीर मसले पर किसी भी तरह की वार्ता से इनकार किया। भारत का मत स्पष्ट है कि यह हमारा आंतरिक मामला है। चीन के राष्ट्रपति ने पीएम को पाक के प्रधानमंत्री इमरान खान के दौरे की सूचना दी थी जिसे उन्होंने सुना।
आतंकवाद के मसले पर दोनों देशों ने एकजुट होकर सामना करने की प्रतिबद्धता दिखाई है क्योंकि दोनों ही राष्ट्र विविधधर्मी है और धार्मिक सद्भावना को बनाए रखना जरूरी है।