चेन्नई

सुनामी की 16वीं बरसी: मरीना बीच पर त्रासदी में मारे गए प्रियजनों को श्रद्धांजलि दी

पीडि़तों के परिजनों ने चेन्नई के मरीना बीच पर समुद्र को दूध चढ़ाकर दिवंगत लोगों को श्रद्धांजलि दी।

चेन्नईDec 26, 2020 / 06:36 pm

PURUSHOTTAM REDDY

Chennai locals pay homage to 2004 Tsunami victims

चेन्नई.

16 साल पहले 26 दिसम्बर के दिन दक्षिण एशिया के कई देशों में मौत का जलजला लाने वाली सुनामी की लहरें अपने पीछे गमों का सैलाब छोड़ गई थीं। तमिलनाडु में भी सुनामी ने हजारों लोगों की जिंदगी छीन ली थी। तमिलनाडु में शनिवार को सुनामी की 16वीं बरसी पर चेन्नई, नागपट्टिनम, कन्याकुमारी और कड्लूर में हजारों लोगों ने सुनामी के दौरान मारे गए अपने प्रियजनों को श्रद्धांजलि दी।

समुद्र में आए भूकंप के कारण उठी भीषण लहरों के कारण भारत में चेन्नई और नागपट्टिनम में ही सबसे ज्यादा तबाही हुई थी। पीडि़तों के परिजनों ने चेन्नई के मरीना बीच पर समुद्र को दूध चढ़ाकर दिवंगत लोगों को श्रद्धांजलि दी। नागपट्टिनम के तटीय इलाकों में मृतकों को एक मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी। सभाओं में आपदा में जान गंवाने वालों के चित्रों वाले बैनर और होर्डिंग लगाए गए तो मौन जुलूस भी निकाले गए।

26 दिसम्बर, 2004 को इंडोनेशिया में बड़े भूकंप से आई सुनामी ने दक्षिण भारत तट को दहला दिया था, जबकि कड्लूर और नागपट्टिनम जिलों में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ। तमिलनाडु के अन्य क्षेत्रों और पुदुचेरी में भी हजारों की मौत हुई थी। 26 दिसम्बर की सुबह हर साल केवल भारत ही नहीं बल्कि दक्षिण एशिया से लेकर अफ्रीका तक लाखों लोगों के दिलोदिमाग में आज भी दहशत की वजह बनती है।

2004 की 26 दिसम्बर को इंडोनेशिया के पास प्रलयंकारी भूकंप से तैयार सुनामी की समुद्री लहरों ने रविवार की सुबह मीठी नींद में सोए भारत, इंडोनेशिया, श्रीलंका, थाईलैंड, मालदीव, मलेशिया, म्यांमार, सोमालिया और तंजानिया तक में कहर मचाते हुए लाखों लोगों को लील लिया था।

भारत में सुनामी के कहर का शायद यह पहला ही मौका था। इससे पहले लैटिन अमेरिका के चिली से सुदूर पूर्वी एशियाई इलाके के बीच प्रशांत महासागर में समंदर का ऐसा कहर कई बार देखा जा चुका था। इंडोनेशिया से उठी सुनामी की दैत्याकार लहरों ने रविवार की सुबह भारत के तमिलनाडु, अंडमान-निकोबार, पुदुुचेरी, केरल, प. बंगाल सहित अनेक राज्यों में भारी जनहानि पहुंचाई थी।

पहले ही दिन 3000 लोगों के काल के गाल में समाने के बाद यह आंकड़ा दस हजार तक पहुंच गया। भारत में सुनामी का सबसे ज्यादा कहर तमिलनाडु के समुद्री किनारों ने ङोला। वहां पहले ही दिन 1400 लोगों की मौत हो गई थी। लोगों को सुनामी की लहरों से बचने का मौका ही नहीं मिला। समुद्र में मछली पकडऩे गए अनेक मछुआरे लापता हो गए। सुनामीग्रस्त इलाकों का दृश्य ऐसा था मानो वायुसेना ने वहां जमकर बमबारी की हो। तूफान के कोई संकेत नहीं होने के बाद भी 30 से 40 फुट ऊंची लहरों ने किनारों पर तांडव शुरू कर दिया था।
हजारों करोड़ रु. की आर्थिक हानि भी ङोलनी पड़ गई। कई मछुआरों की नावें बह गईं और उनके सामने रोजी-रोटी का संकट उठ खड़ा हुआ था। भीषण भूकंप के कारण जिस इंडोनेशिया से सुनामी की लहरें उठी थीं, वहां अन्य देशों की तुलना में बहुत ज्यादा नुकसान हुआ था।

समुद्री किनारे के पास भूकंप, ज्वालामुखी के फटने, समुद्र की तलहटी में हलचल से बड़े बदलाव सुनामी की लहरों के लिए जिम्मेदार होते है। समुद्र में भूकंप से लहरें हजारों किलोमीटर दूर तक उछालें मारती चली जाती हैं। वैसे सुनामी लहरों और ज्वारीय लहरों में फर्क होता है।

Hindi News / Chennai / सुनामी की 16वीं बरसी: मरीना बीच पर त्रासदी में मारे गए प्रियजनों को श्रद्धांजलि दी

Copyright © 2025 Patrika Group. All Rights Reserved.