विजयराघवन ने मीडिया के विविध आयामों के संगठन का उल्लेख करते हुए विद्यार्थियों को विभिन्न अवसरों की जानकारी दी कि आप प्रिंट के अलावा इलेक्ट्रॉनिक, टीवी, रेडियो, यूट्यूब और सोशल मीडिया सहित विभिन्न माध्यमों के जरिए पत्रकारिता कर सकते हैं। उन्होंने संविधान द्वारा प्राप्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लेख करते हुए कहा कि आज सोशल मीडिया के दौर में हर कोई व्यक्ति सूचनाएं प्रेषित कर रहा है। ऐसे दौर में बड़ी सावधानी बरतने की आवश्यकता है, वर्ना छोटी सी बात उपद्रव भडक़ा सकती है।
राजस्थान पत्रिका हैं सेतु
प्रभारी संपादक ने राजस्थान पत्रिका के प्रकाशन के बारे में बताया कि 2004 से इसका नियमित प्रकाशन चेन्नई में हो रहा है। राजस्थान पत्रिका उत्तर और दक्षिण के बीच सेतु का कार्य कर रहा है। आप सभी को नियमित रूप से अखबार पढऩा चाहिए।
विद्यार्थी स्वयं को प्रतिस्पर्धी बनाएं
कॉलेज के प्राचार्य डा. आर. रामन ने गीतकार इकबाल के गीत ‘सारे जहां से अच्छा…’ का जिक्र करते हुए कहा कि ब्रिटिश हुकूमत के वक्त इस गीत ने पूरे देश को जोड़ा था। कोई भी भाषा थोपी नहीं जानी चाहिए। यहां हिन्दी अध्ययन कर रहे विद्यार्थी स्वयं को उत्तर भारतीय विद्यार्थियों के समकक्ष प्रतिस्पर्धी बनाएं।
विद्यार्थियों को पुरस्कार
स्वागत भाषण कॉलेज की हिन्दी विभाग की तृतीय वर्ष की छात्रा एस. काव्या ने दिया। विभागाध्यक्ष डा. आर. गोपालकृष्णन ने मुख्य अतिथि का परिचय कराया और सहायक प्रोफेसर के. टी. शिवप्रकाश ने आभार माना। विजयराघवन ने कॉलेज का ‘लोगो’ बनाने की प्रतियोगिता के विजेताओं को नकद पुरस्कार दिया।