यात्रियों का कहना कि इस बस टर्मिनस परिसर में यात्रियों की सुविधानुकूल दर्जनों दुकाने हैं। खाने पीने की सामग्री से लेकर कपड़े, श्रृंगार प्रसाधन समेत कई अन्य जरूरी वस्तुओं की दुकानें टर्मिनस के चारों तरफ हैं। फिर भी यात्रियों के बैठने के लिए बनी जगह पर फल-सब्जियों समेत अन्य वस्तुओं के स्टॉल लगे होने से यात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
एक नियमित यात्री बिमलेश कुमार कहते हैं कि कहने को तो यह महानगर का दूसरा सबसे बड़ा बस अड्डा है लेकिन सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं है। नि:शुल्क शौचालय नहीं है। पेयजल की उचित व्यवस्था नहीं है। टर्मिनस की सतह जर्जर हो चुकी है। प्लेटफार्म के मुताबिक बसें नजर नहीं आती। इसलिए आमजन को यहां बस पकडऩे में काफी जद्दोजहद करनी पड़ती है।
एक अन्य यात्री मालती कहती है कि यहां बना टिन शेड जर्जर हो चुका है। इसके गिरने की आशंका बनी रहती है लेकिन ग्रेटर चेन्नई कॉर्पोरेशन का ध्यान इस पर नहीं है।
छात्र प्रभाष कुमार कहते हैं कि यहां मेट्रो स्टेशन भी बन चुका है और अब यहां पर किसी तरह का कंस्ट्रक्शन नहीं हो रहा है। बसों की आवाजाही भी पहले की तरह चारों रास्तों पर बहाल हो चुकी है। अब ग्रेटर चेन्नई को इस बस टर्मिनस में यात्रियों को बैठने के लिए बेंच की संख्या बढानी चाहिए।