व्यक्ति का ऑपरेशन करने वाले डॉक्टरों की टीम ने कहा कि पांचवी किडनी फिट करने के लिए व्यक्ति के शरीर में जगह नहीं थी, लेकिन उसे बचाना था, आखिरकार बड़ी मशक्कत के बाद उसके पेट में जगह बनाई गई और 5वीं किडनी को फिट किया गया।
किडनी प्रत्यारोपण करने वाले डॉ. एस सरवनन ने बताया कि उच्च रक्तचाप के कारण पहली दो सर्जरी फेल हो चुकी थीं। मरीज की हाल ही में ट्रिपल बाईपास सर्जरी भी हुई थी, इसलिए उसके शरीर से दो मूल किडनियां तथा दो ट्रांसप्लांट किडनियां जो बाद में फेल हो गई को शरीर में ही रहने दिया गया। अब पांचवी किडनी मरीज के शरीर में काम कर रही है।
पांचवीं किडनी आंतों के करीब फिट की
मरीज का रिकॉर्ड तीसरी बार किडनी ट्रांसप्लांट सफल रहा। पांचवीं किडनी से जुडऩे के लिए उसके शरीर में रक्त वाहिकाओं की भी कमी थी, इसके अलावा पिछली सर्जरी के कारण रोगी के शरीर में बुहत अधिक मात्रा में एंटीबॉडी विकसित हो रही थी।
मरीज का रिकॉर्ड तीसरी बार किडनी ट्रांसप्लांट सफल रहा। पांचवीं किडनी से जुडऩे के लिए उसके शरीर में रक्त वाहिकाओं की भी कमी थी, इसके अलावा पिछली सर्जरी के कारण रोगी के शरीर में बुहत अधिक मात्रा में एंटीबॉडी विकसित हो रही थी।
ज्यादा एंटीबॉडी विकसित होने से उसका शरीर नई किडनी को स्वीकार करने से मना कर सकता था। इसलिए टीम ने पारंपरिक प्रक्रिया के विपरित किडनी को उदर गुहा में आंतों के करीब फिट किया।
इसलिए नहीं निकाली गईं पुरानी चार किडनी
किडनी ट्रांसप्लांट में खराब चार किडनियों को शरीर से नहीं निकाला गया, क्योंकि उच्च रक्तचाप के कारण मरीज के शरीर से ज्यादा मात्रा में खून निकलने का खतरा था।
किडनी ट्रांसप्लांट में खराब चार किडनियों को शरीर से नहीं निकाला गया, क्योंकि उच्च रक्तचाप के कारण मरीज के शरीर से ज्यादा मात्रा में खून निकलने का खतरा था।
सफल सर्जरी के बाद डॉ. सरवनन ने कहा कि यह एक बेहद असामान्य सर्जरी थी, मैं चाहता हूं कि इस पर जल्द से जल्द कोई पेपर प्रकाशित किया जाए।