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कार रिव्‍यूज

प्रोडक्शन बंद होने के बाद रतन टाटा ने बताई, Nano बनाने के पीछे की कहानी

2008 में लॉन्च हुई थी tata Nano
रतन टाटा के दिल के करीब है ये कार
सालों बाद सामने आई इस कार के बनने की कहानी

Mar 04, 2020 / 03:09 pm

Pragati Bajpai

tata nano

tata nano

नई दिल्ली: 2008 में एक कार ने भारतीय कार बाजार में दस्तक दी थी, इस कार को लॉन्चिंग के वक्त तो काफी पसंद किया गया लेकिन जैसे-जैसे वक्त बीतता गया इस कार की चमक भी फीकी पड़ने लगी आलम ये हुआ कि 2018 में बिक्री न होने की वजह से इस कार का प्रोडक्शन बंद कर दिया गया ।

ये कार भले ही आज सड़कों पर दिखाई नहीं पड़ती और न ही कंपनी इसका निर्माण कर रही है लेकिन ये कार टाटा मोटर्स के मालिक रतन टाटा की ड्रीम कार थी और उन्हें आज भी अपनी इस पेशकश पर गुमान है। ये कहना है खुद रतन टाटा का। इंस्टाग्राम पर वायरल हो रही एक पोस्ट में रतन टाटा की जिंदगी के कुछ पहलुओं के बारे में बात की गई है और इसी में उनके अपनी ड्रीम लखटकिया कार के बारे में विचारों को भी शेयर किया गया है।

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(3/3) “Ever since, my life has been for & about growing the company. When I was appointed Chairman, it was believed my surname got me the position, but my focus was on creating something bigger than us all & on giving back, which has been in the TATA DNA since the start. With Jamshedpur for instance, while our workers were thriving, the surrounding villages were suffering. It became our goal to uplift their quality of life as well… things like these came naturally to us. Even with the Nano–I remember seeing a family of 4 on a bike in the heavy Bombay rain—I wanted to do more for these families who were risking their lives for lack of an alternative. By the time we launched the Nano, our costs were higher, but I’d made a promise & we delivered. Looking back, I’m proud of the car & the decision to go ahead with it. That’s what my life has been about—work became a lifestyle. I was always at Bombay House or travelling, that’s why even though I came close to marriage with 2-3 different partners, I couldn’t go through with it because they’d have to adjust to my lifestyle & that didn’t sit right with me. Now that I’m retired, that lifestyle has changed again. People ask if I’m truly ‘retired’ & to that I say—there’s no doubt about it. I’m enjoying the separation from the company—I don’t look at newspapers & worry about the bad stuff anymore. But let me tell you, retirement isn’t about playing golf, or reading on a beach, whilst sipping on a cocktail. In fact, never before has the urge to do more, been greater. From affordable cancer treatment, to making the lives in rural India easier—I’m looking forward to making it happen at the Tata Trust. I’m trying to enjoy myself to be honest—I’m spending time with friends—old & new, across age groups, who I’m constantly learning from. At 82, I’m still learning, so when you ask me to give advice, I feel like the ‘right advice’ changes over a period of time—but the one thing that remains unchanged is the desire to do the right thing. So I’ll say this—leave the advice & do the right thing, even if it isn’t the easiest thing to do. When you look back at your life, that’s what’s going to matter the most. Doing the right thing.”

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मुंबई की बारिश ने दिया Nano का आईडिया-

खैर 2008 में Tata Nano के लॉन्च होने के बाद इस कार से जुड़ी छोटी-बड़ी बात हर किसी को पता है लेकिन इसके पीछे की कहानी से लोग आज भी अन्जान है। इस पोस्ट में रतन टाटा ने इस राज से भी पर्दा उठाया है। रतन टाटा ने बताया कि कैसे उन्हें नैनो बनाने का ख्याल आया।

रतन टाटा ने बताया कि एक बार मुंबई में तेज बारिश के दौरान उन्होने देखा कि 4 लोगों की फैमिली एक ही बाइक पर सवार है । तब उन लोगों को इस तरह से स्ट्रगल करते देख उन्होने सोचा कि उन्हें ऐसे लोगों के लिए कुछ करना चाहिए जो बारिश में भीगने को मजबूर होते हैं और अपनी जिंदगी को खतरे में डालते हैं । बस उसी पल उन्होने लाख रूपए कीमत में छोटी फैमिली कार बनाने का पैसला किया ।

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Nano प्रोडक्ट नहीं एक वादा था-

इस बारे में आगे बात करते हुए उन्होने बताया कि नैनो उनके लिए एक वादा था जो उन्होने लोगों से किया था यही वजह थी कि लॉन्चिंग के वक्त प्रोडक्शन कॉस्ट ज्यादा होने के बावजूद उन्होने कार को पुरानी कीमत पर लॉन्च कर अपना वादा पूरा किया ।

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