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खबरों की मानें तो सरकार कैब एग्रीगेटर्स कंपनियों के लिए नए नियम बना रही है। वहीं ओला और ऊबर जैसी कंपनियां मांग और आपर्ति के बीच संतुलन बिठाने के लिए शुरूआत से ही सर्ज प्राइसिंग की वकालत करती रही हैं। संशोधित मोटर व्हीकल एक्ट पास होने के बाद कैब एग्रीगेटर्स के लिए भी नए नियम लाए जा रहे हैं। एक्ट में पहली बार कैब एग्रीगेटर्स को डिजिटल इंटरमीडियरी यानी मार्केट प्लेस माना गया है। वहीं नए नियम पूरे देश में लागू होंगे, लेकिन राज्यों को इन्हें बदलने के अधिकार होगा।
कर्नाटक सरकार ने बनाए हैं नियम-
कर्नाटक देश का पहला ऐसा राज्य है जहां कैब एग्रिगेटर्स द्वारा न्यूनतम और अधिकतम किराया तय करने का नियम निर्धारित है। राज्य सरकार ने एप बेस्ड कैब कंपनियों के लिए वाहन की कीमत के अनुसार सर्ज प्राइस स्लैब बना रखे हैं। लग्जरी कैब्स के लिए सर्ज प्राइस बेस फेयर का 2.25 फीसदी है, वहीं छोटी कैब के लिए यह 2 गुना है।
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आपको बता दें कि सर्ज प्राइस से कस्टमर्स यानि आम आदमी को काफी परेशानी होती है। दरअसल सर्ज प्राइसिंग बिजनेस के लिए तो सही है लेकिन कस्टमर्स की जेब पर ये भारी पड़ती है। पीक ऑवर, जैसे त्योहारों का समय या फिर जब बारिश हो तब सर्ज प्राइस लिया जा सकता है। लेकिन अगर आप आप कैब के अंदर हों और बारिश होने लगे तब भी सर्ज प्राइस चार्ज किया जा सकता है।