ऑटोमैटिक कारों में न्यूट्रल गियर की अपनी एक अलग ही वेल्यू ही होती है। इमरजेंसी के टाइम पर न्यूट्रल गियर कार में बैठे लोगों की जान बचाने के काम आता है। सबसे पहले हम ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन के बारे में बात करेंगे। ऑटोमेटिक ट्रांसमिशन में ड्राइवर को खुद बार-बार गियर बदलने के लिए क्लच दबाकर गियर बदलने की जरूरत नहीं पड़ती है। ऑटोमेटिक गियर बाक्स में गियर कार की पावर और स्पीड बढ़ने पर अपने आप लगता है। इसमें ड्राइवर का गियर पर कोई बी कंट्रोल नहीं होता है।
ऑटोमेटिक ट्रांसमिशन में गियर स्पीड पर डिपेंड करता है और उसके अनुसार ही बढ़ता घटता है। इंजन जब ज्यादा शक्ति की डिमांड करता है तो ऑटोमेटिक गियर बदलने लगते हैं। ऑटोमैटिक कारों में न्यूट्रल गियर लगने पर इंजन और पहियों के बीच पावर का रिश्ता खत्म हो जाता है। इसके बाद चाहे एक्सीलेटर को कितना भी दबाया जाए, लेकिन पहियों तक पावर नहीं पहुंचती है। ऑटोमैटिक कार में गियर को न्यूट्रल में शिफ्ट करने के बाद कार को रोकने के लिए ब्रेक्स पर ज्यादा प्रेशर देना पड़ता है।
अगर आपको तेज रफ्तार में कार चलाते वक्त अचानक ब्रेक लगाना पड़ जाए तो कार को न्यट्रल गियर पर कर लेना चाहिए। ब्रेक फेल होने पर ऑटोमैटिक कार में इंजन को बंद नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे स्टीयरिंग व्हील कंट्रोल से बाहर हो जाएगा।