अगर आप गाड़ी चलते हैं या फिर नई कार/बाइक लेने की प्लानिंग कर रहे हैं तो आपको इन टर्म्स के बारे में पता होना जरूरी है। तो चलिए आज इस खबर में इन तीनों टर्म्स के बारे में आसान भाषा में समझते हैं।
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किसी भी गाड़ी के इंजन में सीसी का मतलब क्यूबिक कपैसिटी होता है। इंजन एक पिस्टन के जरिए काम करता है और उसी में फ्यूल का फ्लो होता है, हर इंजन में पिस्टन का साइज अलग-अलग होता है और पिस्टन के इसी बोर साइज को सीसी कहा जाता है। उदाहरण के तौर पर, जैसे – 1000 सीसी इंजन के पिस्टन की क्षमता 1 लीटर होती है। सीसी का आंकड़ा जितना ज्यादा होगा, गाड़ी में फ्यूल की खपत उतनी ही ज्यादा होगी, और इंजन भी ज्यादा पॉवरफुल होगा।
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टॉर्क का मीनिंग है ट्विस्टिंग फोर्स, सरल भाषा में कहें तो किसी चीज मोड़ने या घुमाने या आगे बढ़ाने में लगने वाला बल। इसके मीजरमेंट के लिए न्यूटन मीटर का इस्तेमाल किया जाता है। टॉर्क के जरिए गाड़ी के तेजी से आगे बढ़ने या भार ढोने की क्षमता की जानकारी मिलती है।
पेट्रोल से चलने वाली गाड़ियों का टॉर्क कम होता है, क्योंकि पेट्रोल बहुत तेजी से जलता है, जबकि डीजल को जलने में ज्यादा समय लगता है, इसलिए डीजल गाड़ियों में ज्यादा टॉर्क मिलता है। यही रीजन है भारी वाहनों में डीजल इंजन का ही इस्तेमाल किया जाता है।
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बीएचपी का संबंध सीधे गाड़ी के इंजन की स्पीड से होता है। ऐसे में गाड़ी को एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने के लिए ताकत ब्रेक हॉर्स पावर ही देता है उसी को ब्रेके हाउस पावर कहते हैं। गियरबॉक्स, ऑल्टरनेटर, और वाटर पंप के काम करने, साथ ही फ्रिक्शन के कारण पावर खत्म होने के बाद गाड़ी के बचे हुए पावर को बीएचपी कहते है।
अगर इसे और आसान भाषा में समझा जाए तो जब गाड़ी को स्टार्ट करके एक्सीलेरेट करते हैं तो यह काम टॉर्क का होता है। जबकि कार को एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने में BHP की भूमिका होती है।