कार चालकों के लिए काम की वो 7 बातें, जिन्हें हमेशा करेंगे फॉलो तो हर सफर रहेगा सुहाना जलवायु परिवर्तन का कारण पेट्रोल इंजन की तुलना में डीजल इंजन अपेक्षाकृत ज्यादा प्रदूषण फैलाते हैं। इनसे निकलने वाली कार्बन मोनोऑक्साइड समेत अन्य प्रदूषक पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं।
भारत में कम होती डीजल कारें रिपोर्ट के मुताबिक भारत में डीजल कारों का सालाना बाजार करीब 10 लाख कारों का है, जो धीमे-धीमे कम होता जा रहा है। अप्रैल 2020 से देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी ने डीजल कारों का उत्पादन बंद कर दिया। मारुति के इस कदम से सालाना तीन लाख डीजल कारों की बिक्री बंद हो गई।
82 फीसदी पेट्रोल कारें गाड़ीवाड़ी डॉट कॉम की रिपोर्ट के मुताबिक इस साल अप्रैल से लेकर जुलाई 2020 तक देश में 14 ऑटोमोबाइल कंपनियों ने कुल 2,89,954 पेट्रोल कारें बेचीं। जबकि इसी दौरान केवल 60,283 डीजल कारें बिकीं। इसमें भी पांच कंपनियों (मारुति सुजुकी, रेनॉ, फॉक्सवैगन, स्कोडा और निसान) की डीजल कारें एक भी नहीं थीं। आंकड़ें बताते हैं कि भारत में पेट्रोल कारों का ही वर्चस्व है और यह कुल कारों की बिक्री का 82 फीसदी हैं।
आ गई धमाकेदार फीचर्स वाली भारत की इलेक्ट्रिक कार, सभी कर रहे थे इसका इंतजार पेट्रोल की तुलना में महंगी भले ही पेट्रोल इंजन की तुलना में डीजल कारों का माइलेज ज्यादा होता है, प्रति लीटर डीजल के दाम पेट्रोल की तुलना में कम होते हैं, लेकिन आम लोगों को यह कारें फिर भी महंगी ही पड़ती हैं। व्यावसायिक वाहनों को छोड़ दें या फिर जबर्दस्त ढंग से काफी ज्यादा ड्राइव करने वालों को छोड़ दें, तो आम लोगों के लिए डीजल कारें घाटे का ही सौदा होती हैं। इसकी वजह शुरुआती कीमत ज्यादा होना और सर्विस कॉस्ट ज्यादा होना होता है। डीजल कारों का मेंटेनेंस भी अपेक्षाकृत पेट्रोल इंजन की तुलना में अधिक होता है।
भारत स्टेज छह में बढ़ी कीमतें भारत में भारत स्टेज छह लागू होने के बाद से टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन के चलते देश में डीजल कारों की औसतन कीमतों में 1 लाख रुपये की बढ़ोतरी हुई। जबकि पेट्रोल की तुलना में पहले से ही डीजल कारें महंगी होती हैं, जिनसे इनकी कीमतें और ज्यादा बढ़ चुकी हैं।
जनवरी से गाड़ी के पीयूसी सर्टिफिकेट से जुड़े नियम में बड़ा बदलाव, अभी से कर लें तैयारी नहीं तो हो जाएगी डीजल कारों की उम्र भारत के अन्य राज्यों को छोड़ दें तो दिल्ली-एनसीआर में आने वाले प्रदेशों में डीजल कारों की एक्सपायरी डेट यानी रजिस्ट्रेशन की अवधि 10 वर्षों के लिए ही है, जबकि पेट्रोल वाहनों की उम्र 15 साल है। दिल्ली-एनसीआर के लिहाज से वाहनों की पांच साल कम उम्र भी इन्हें अपेक्षाकृत महंगा बनाती है यानी वाहन की कीमत का 10 फीसदी प्रतिवर्ष घटता जाता है।
घटता बाजार उद्योग से जुड़े विशेषज्ञों की मानें तो वर्ष 2023 के बाद से डीजल कारों के बाजार में काफी कमी देखने को मिलेगी। सरकार द्वारा रीयल टाइम एमिशन मॉनिटरिंग सिस्टम (RTEMS) को अनिवार्य बनाए जाने की योजना को देखते हुए कार निर्माता उस वक्त डीजल कारों के निर्माण को बंद करने में ही समझदारी मानेंगे।
इलेक्ट्रिक कारों का भविष्य दुनिया के साथ ही अब देश में भी इलेक्ट्रिक कारों को लेकर सब्सिडी और नई योजनाएं बनाई जाने लगी हैं। वाहन निर्माता इलेक्ट्रिक कारों को लाने में जुटे हैं या लाने की पूरी तैयारी कर रहे हैं। ऐसे में अब नई डीजल कार खरीदना भविष्य के लिहाज से नुकसान से कम नहीं है।