दरअसल, अमरीका में प्राकृतिक गैस 12 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई। इसकी वजह यह है कि वैश्विक बाजार में ईंधन की आपूर्ति में कमी ने सर्दियों से पहले देश में आशंकाओं को जन्म दिया। इससे गैस की मांग में बड़ा उछाल आया है, जिसने कीमत बढ़ाने का काम किया है।
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वहीं, तेल निर्यात देशों के संगठन ओपेक ने भी कच्चे तेल का उत्पादन मांग के अनुरूप धीरे-धीरे बढ़ाने का फैसला किया है। इससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में तरल पेट्रोलियम गैस यानी एलपीजी की कीमत तेजी से बढ़ी है। इसका सीधा असर भारतीय बाजार पर हुआ है और आगे भी होगा। उल्लेखनीय है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ईंधन की कीमतों में तेजी के मद्देनजर बुधवार को रसोई गैस एलपीजी की कीमत में 15 रुपये प्रति सिलेंडर की वृद्धि की गई, जबकि पेट्रोल और डीजल की कीमतें भी रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गईं।
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पिछले एक साल में रसोई गैस 305.50 रुपये तक महंगा हो चुका है। इस वर्ष 1 सितंबर को 14.2 किलोग्राम के गैर-सब्सिडी रसोई गेस सिलेंडर के दाम में 25 रुपये की बढ़ोतरी की गई थी। इससे पहले 17 अगस्त को गैस सिलेंडर की कीमतों में 25 रुपये का इजाफा हुआ था।
इंडियन ऑयल, हिन्दुस्तान पेट्रोलियम और भारत पेट्रोलियम से जुड़े सूत्रों ने बताया कि मौजूदा समय में प्रति सिलेंडर 100 रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है। मई में सऊदी अरब 483 डॉलर प्रति मैट्रिक टन की दर से एलपीजी की आपूर्ति करता था। वहीं, अक्टूबर आते सऊदी अरब ने 797 डॉलर प्रति मैट्रिक टन कर दिया है जिससे कंपनियों को करीब 100 रुपये प्रति सिलेंडर का नुकसान हो रहा है।
सरकार ने समय-समय पर वृद्धि करके ज्यादातर शहरों में एलपीजी पर सब्सिडी को समाप्त कर दिया है। आम परिवार, जो एक वर्ष में रियायती दरों पर 14.2 किलोग्राम के 12 सिलेंडर का हकदार है, और मुफ्त कनेक्शन पाने वाले उज्ज्वला योजना लाभार्थी, अब बाजार मूल्य का भुगतान करते हैं। पांच किलोग्राम के एलपीजी सिलेंडर की कीमत अब 502 रुपये हो गयी है। जुलाई के बाद से रसोई गैस की कीमतों में यह चौथी वृद्धि है। जुलाई में कीमतों में 25.50 रुपये प्रति सिलेंडर की बढ़ोतरी की गयी थी। इसके बाद 17 अगस्त और एक सितंबर को 25-25 रुपये की बढ़ोतरी की गयी।