अभी तक फाइनल ड्राफ्ट तैयार नहीं-
फिलहाल क्रिप्टोकरेंसी एंड रेग्युलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल 2021 के अलग-अलग पहलुओं पर गंभीरता से अलग-अलग स्टेकहोल्डर्स के साथ चर्चा की जा रही है। अभी तक कैबिनेट के पास इस बिल का फाइनल ड्राफ्ट नहीं पहुंचा है। सरकार और रिजर्व बैंक का साफ मानना है कि प्राइवेट डिजिटल करेंसी का देश के फाइनेंशियल सिस्टम पर ज्यादा बुरा असर होगा और अच्छा असर काफी कम होगा।
वर्तमान निवेशकों में संशय-
इस समय प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी के निवेशकों में संशय बना हुआ है कि उनका क्या होगा। वर्तमान निवेशकों को इससे निकलने का समय मिल सकता है। माना जा रहा है कि निवेश को मोनेटाइज करने के लिए निवेशकों को 3-6 महीने का समय मिल सकता है। एक समय सीमा की घोषणा की जाएगी, उसके बाद प्राइवेट डिजिटल करेंसी पर पूरी तरह पाबंदी होगी। न तो इसकी ट्रेडिंग की जा सकेगी और न ही माइनिंग की जा सकती है।
देनी होगी क्रिप्टोकरेंसी संबंधी जानकारी-
नए कंपनी रूल्स के मुताबिक, अब कॉरपोरेट कंपनियों को क्रिप्टोकरेंसी को लेकर भी जानकारी शेयर करनी होगी। अगर किसी कंपनी ने क्रिप्टोकरेंसी में निवेश से फायदा कमाया है या फिर नुकसान हुआ हो, अगर उसके पास क्रिप्टोकरेंसी हो। अगर किसी तीसरे से क्रिप्टोकरेंसी में निवेश के लिए एडवांस लिया हो तो उसे रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज को अपनी फाइलिंग में इसकी पूरी जानकारी देनी होगी।
दुनिया के 80 प्रतिशत बैंक कर रहे काम –
क्रिप्टोकरेंसी को लेकर दुनियाभर के सेंट्रल बैंक किस तरह सोच रहे हैं, इसको लेकर पिछले दिनों एक रिपोर्ट आई थी। बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट ने एक सर्वे किया था, जिसमें 66 देशों के सेंट्रल बैंकों ने भाग लिया था। इनमें से 80 फीसदी बैंकों ने कहा था कि वे अपनी डिजिटल करेंसी की दिशा में काम कर रहे हैं। ये बैंक डिजिटल करेंसी के फायदे और नुकसान की स्टडी कर रहे हैं। चीन के पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना ने तो डिजिटल करेंसी रिसर्च इंस्टीट्यूट का गठन किया है। चीन में डिजिटल युआन के पायलट प्रोजेक्ट पर काम जारी है।