बुरहानपुर में पेड़ों पर इंजेक्शन और केमिकल लगाने को अवैज्ञानिक तरीका बताकर गोंद निकालने पर प्रतिबंध के आदेश दिए गए थे। खंडवा डीएफओ एवं बुरहानपुर के प्रभारी राकेश डामोर ने रेंजरों की सहमति लिए बिना इस प्रतिबंध को हटाकर 6 व्यापारियों को गोंद निकालने एवं सप्लाय का लाइसेंस जारी कर दिया। इसका विरोध भी शुरू हो गया है।
बुरहानपुर वन मंडल में सागौन के पेड़ अधिक मात्रा में है। यहां पर सलाई, धावड़ा, साजा, अंजन सहित अन्य प्रजातियों के पेड़ भी खूब हैं। सर्दी के समय जंगल में हर साल सागौन के पेड़ों से प्राकृतिक रूप से गोंद निकलता है। व्यापारियों ने पेड़ों से अधिक गोंद निकालने के लालच में पेड़ों की छाल निकालने से लेकर तने में कट मारने व इंजेक्शन लगाकर गोंद निकालने का काम शुरू कर दिया। इससे अधिकांश पेड़ समय से पहले ही सूख गए तो कुछ टूटकर गिर गए थे।
यह भी पढ़ें: Ladli Behna Awas Yojana – एमपी में लाड़ली बहनों को 1 लाख 30 हजार रुपए देने की योजना पर बड़ा अपडेट राज्य सरकार ने जनवरी 2023 से जंगल से गोंद संग्रहण और उत्पादन की अनुमति जारी करने के आदेश दिए थे। इसके बाद गांवों की समितियों एवं व्यापारियों को लाइसेंस दिए गए थे, लेकिन व्यापारियों ने गोंद के लालच में पेड़ में इंजेक्शन लगाना शुरु कर दिया था।
फरवरी में प्रतिबंध, दिसंबर में लाइसेंस
अवैज्ञानिक तरीके से गोंद निकालने एवं इंजेक्शन का उपयोग करने से पेड़ खत्म होने लगे तो वन विभाग सक्रिय हुआ। तत्कालीन डीएफओ विजय सिंह ने 14 फरवरी 24 को पेड़ों से गोंद निकालने पर बैन लगा दिया। गोंद संग्रहण एवं परिवहन पर 10 समितियों के लाइसेंस निरस्त कर दिए थे।
इधर डीएफओ विजय सिंह के जाते ही वर्तमान बुरहानपुर प्रभारी एवं खंडवा डीएफओ ने प्रतिबंध हटा दिया। उन्होंने दोबारा 6 लाइसेंस जारी कर दिए। वन विभाग के इस निर्णय का वन समितियों में भी विरोध शुरू हो गया।
पर्यावरण को नुकसान, कलेक्टर से शिकायत
शिकायतकर्ता जितेंद्र रावतोले ने गोंद निकालने का विरोध कर जारी किए गए लाइसेंस निरस्त करने की मांग की है। कलेक्टर से शिकायत में उन्होंने कहा है कि इस तरह गोंद निकालने के लाइसेंस देने से पहले भी सलाई के पेड़ों को नुकसान हुआ था।
शिकायतकर्ता के अनुसार ज्यादा गोंद निकालने के लिए पेड़ों पर विभिन्न केमिकल, इंजेक्शन लगाए जाते हैं। इससे गोंद का उत्पादन 2 से 3 गुना बढ़ जाता है, लेकिन पेड़ समय के पहले खोखले होने के बाद दोबारा गोंद निकालने के लायक नहीं बचते है। ऐसे में पर्यावरण को नुकसान हो रहा है। वन विभाग का काम पेड़ और पर्यावरण को बचाना है लेकिन लाइसेंस फीस और गोंद से मिलने वाले राजस्व के चक्कर में अधिकारी पेड़ों को नुकसान पहुंचाने की अनुमतियां जारी कर रहे है।
इधर एसडीओ अजय सागर ने कहा कि प्रभारी डीएफओ ने प्रतिबंध हटाकर 6 लाइसेंस जारी किए हैं, क्योंकि गोंद से 15 हजार लोगों को सीधे रोजगार मिलता है। केमिकल का उपयोग कर गोंद निकालने की कुछ शिकायत आती है, इसलिए टीम लगातार मॉनीटंरिंग करती हैं। अगर शिकायत आएगी तो जांच करेंगे। केमिकल से पेड़ों को नुकसान जरूर होता है, लेकिन ऐसा न हो इसके प्रयास किए जा रहे हैं।
गेमेक्सॉन इंजेक्शन का होता है उपयोग
जानकारी के अनुसार पेड़ की छाल अधिक मात्रा में निकालकर गोंद आने से पहले इथेफॉन, हार्मोन, गेमेक्सॉन इंजेक्शन सहित अन्य केमिकलों का उपयोग किया जाता है। जबकि यह वन संपदा के लिए नुकसानदायक है।