जल उपभोक्ता संगमों के अध्यक्षों ने बताया कि गत वर्ष भी विधानसभा चुनाव के दौरान आचार संहिता लग जाने के कारण जिला परिषद द्वारा कई स्थानों के कार्य स्वीकृत नहीं किए थे। ऐसे में नहरों में छोड़ा गया पानी काफी मात्रा में बेकार बह गया था।
गत वर्ष कई जगह नहरों में हुई टूट फूट के चलते पानी रोकने के लिए मिट्टी के कट्टे भरकर दीवारों पर लगा दिए थे। वह कट्टे आज इसी हाल में है। संगमों के अध्यक्षों ने बताया कि यदि नहरों की साफ-सफाई वह मरम्मत के लिए कार्य स्वीकृत नहीं हुए व कार्य समय पर नहीं हुआ तो पानी व्यर्थ बहने की संभावना रहेगी।
गुढाबांध जल वितरण समिति के अध्यक्ष शिवराम गुर्जर ने बताया कि 10 अक्टूबर से गुढ़ा बांध के दांयी व बांयी व होलासपुरा माइनर की साफ सफाई का कार्य जल संसाधन विभाग को शुरू कर देना चाहिए, ताकि नवंबर माह तक सभी नहरों व माइनरों की पूरी तरह से साफ-सफाई व मरम्मत हो सके एवं फसल में सिंचाई के लिए छोड़ा जाने वाला पानी व्यर्थ नहीं जाए।
किसानों ने बताया कि गुढ़ा बांध की सभी नहरें पक्की होनी चाहिए। गुढ़ा बांध से 60 गांवों के हजारों किसानों की 10 हजार हेक्टेयर से अधिक भूमि सिंचित होती है। लेकिन यहां पर बजट नहीं मिलने के कारण काफी नहरी कच्ची हैं। ऐसे में हर साल बारिश में नहरें टूट जाती है। किसानों ने बताया कि जब तक नहरों का पक्का निर्माण नहीं होगा तब तक समस्याएं बनी रहेगी।