scriptगुढ़ा बांध की क्षतिग्रस्त नहरों को मरम्मत की दरकार | Patrika News
बूंदी

गुढ़ा बांध की क्षतिग्रस्त नहरों को मरम्मत की दरकार

गुढ़ा बांध की क्षतिग्रस्त नहरों की साफ सफाई व मरम्मत के लिए महात्मा गांधी नरेगा में जिला परिषद द्वारा प्रस्ताव स्वीकृत नहीं होने से इस बार भी नहरों की सफाई में विलंब होने की संभावना है।

बूंदीOct 07, 2024 / 06:24 pm

पंकज जोशी

गुढ़ा बांध की क्षतिग्रस्त नहरों को मरम्मत की दरकार

हिण्डोली. भवानीपुरा के निकट क्षतिग्रस्त माइनर पर लगे मिट्टी के कट्टे।

हिण्डोली. गुढ़ा बांध की क्षतिग्रस्त नहरों की साफ सफाई व मरम्मत के लिए महात्मा गांधी नरेगा में जिला परिषद द्वारा प्रस्ताव स्वीकृत नहीं होने से इस बार भी नहरों की सफाई में विलंब होने की संभावना है। गत वर्ष भी आचार संहिता के चलते नहरों की पर्याप्त सफाई नहीं हो पाई थी।
गुढ़ा बांध की नहरें करीब 200 किलोमीटर लंबी है। यहां पर काफी मात्रा में नहरें व माइनर कच्चे बने हैं। गत माह हुई बारिश के दौरान नहरें व माइनर कई जगह से क्षतिग्रस्त हो गए हैं। वहीं वर्तमान में नहरों में झाड़ झंकार उगे हुए है। जिससे कई जगह तो नहरें दिखती तक नहीं है। ऐसे में नहरों की सफाई के लिए जल संसाधन विभाग द्वारा एक पखवाड़े पूर्व 23 प्रस्ताव तैयार कर जिला परिषद को भिजवा दिए गए हैं। लेकिन जिला परिषद द्वारा कार्य की स्वीकृति जारी नहीं करने से नहरों की साफ-सफाई के कार्य में विलंब हो सकता है।
गत वर्ष भी नहीं हुई थी पूरी नहरों की सफाई
जल उपभोक्ता संगमों के अध्यक्षों ने बताया कि गत वर्ष भी विधानसभा चुनाव के दौरान आचार संहिता लग जाने के कारण जिला परिषद द्वारा कई स्थानों के कार्य स्वीकृत नहीं किए थे। ऐसे में नहरों में छोड़ा गया पानी काफी मात्रा में बेकार बह गया था।
टूटी नहरों पर लगे हैं मिट्टी के कट्टे
गत वर्ष कई जगह नहरों में हुई टूट फूट के चलते पानी रोकने के लिए मिट्टी के कट्टे भरकर दीवारों पर लगा दिए थे। वह कट्टे आज इसी हाल में है। संगमों के अध्यक्षों ने बताया कि यदि नहरों की साफ-सफाई वह मरम्मत के लिए कार्य स्वीकृत नहीं हुए व कार्य समय पर नहीं हुआ तो पानी व्यर्थ बहने की संभावना रहेगी।
10 अक्टूबर से शुरू हो नहरों की सफाई वह मरम्मत का कार्य
गुढाबांध जल वितरण समिति के अध्यक्ष शिवराम गुर्जर ने बताया कि 10 अक्टूबर से गुढ़ा बांध के दांयी व बांयी व होलासपुरा माइनर की साफ सफाई का कार्य जल संसाधन विभाग को शुरू कर देना चाहिए, ताकि नवंबर माह तक सभी नहरों व माइनरों की पूरी तरह से साफ-सफाई व मरम्मत हो सके एवं फसल में सिंचाई के लिए छोड़ा जाने वाला पानी व्यर्थ नहीं जाए।
सभी नहरें बने पक्की
किसानों ने बताया कि गुढ़ा बांध की सभी नहरें पक्की होनी चाहिए। गुढ़ा बांध से 60 गांवों के हजारों किसानों की 10 हजार हेक्टेयर से अधिक भूमि सिंचित होती है। लेकिन यहां पर बजट नहीं मिलने के कारण काफी नहरी कच्ची हैं। ऐसे में हर साल बारिश में नहरें टूट जाती है। किसानों ने बताया कि जब तक नहरों का पक्का निर्माण नहीं होगा तब तक समस्याएं बनी रहेगी।

Hindi News / Bundi / गुढ़ा बांध की क्षतिग्रस्त नहरों को मरम्मत की दरकार

ट्रेंडिंग वीडियो