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राजस्व गांव तो नहीं बन पाया, शहरी क्षेत्र में शामिल हुआ कीरों का झोपड़ा

गरपालिका का सीमा विस्तार से अब डेढ़ सौ घरों की बस्ती व डेढ़ हजार से अधिक आबादी वाला मजरा तीन दशकों से राजस्व गांव बनने का इंतजार कर रहा कीरो का झोपड़ा अब सीधे शहरी क्षेत्र की आबादी वाला गांव बन जाएगा।

बूंदीJan 24, 2025 / 05:44 pm

पंकज जोशी

राजस्व गांव तो नहीं बन पाया, शहरी क्षेत्र में शामिल हुआ कीरों का झोपड़ा

नैनवां. कीरो का झोपड़ा।

नैनवां. नगरपालिका का सीमा विस्तार से अब डेढ़ सौ घरों की बस्ती व डेढ़ हजार से अधिक आबादी वाला मजरा तीन दशकों से राजस्व गांव बनने का इंतजार कर रहा कीरो का झोपड़ा अब सीधे शहरी क्षेत्र की आबादी वाला गांव बन जाएगा। एक सदी से बसा कीरों का झोपड़ा बस्ती विकट स्थिति झेल रही थी। राजस्व रिकार्ड में यह बस्ती खानपुरा के मजरे के रूप में ही दर्ज है, जिस सिवाय चक भूमि पर बसी हुई है, वह भूमि दो पटवार मंडलों के बीच फंसी हुई थी।
भूमि आबादी में दर्ज नहीं हो पा रही थी, जिससे लोगों को किसी भी प्रकार की सरकारी योजनाओं का लाभ मिल रहा था और ना ही उनके आशियानों के पट्टे बन पा रहे थे। गांव की आधी आबादी पंचायत क्षेत्र में व आधी आबादी नैनवां शहरी क्षेत्र के पटवार मंडल क्षेत्र होने से उसे न ग्राम पंचायत का गांव घोषित किया जाता ना ही उसे शहरी क्षेत्र की बस्ती माना जाता रहा। एक मजरा व दो पटवार मंडल होने से दो पटवार मण्डलों के पाटों में फंसे होने से राजस्व गांव घोषित नहीं हो पाया था।
36 बीघा में बसा हुआ
खानपुरा पंचायत की राजस्व सीमा व नैनवां नगरपालिका की राजस्व सीमा पर बसे खानपुरा पंचायत के कीरों का झोपड़ा जिस भूमि पर बस हुआ वह भूमि सिवाय चक दर्ज है। आधी भूमि नैनवां पटवार मण्डल में तो आधी भूमि खानपुरा पटवार मण्डल में स्थित है। राजस्व रिकार्ड के अनुसार कीरों का झोपड़ा गांव 36 बीघा 15 बिस्वा रकबे में बसा हुआ है, जिसमें खसरा संख्या 2694 में 19 बीघा 9 बिस्वा, खसरा संख्या 2695 में रकबा आठ बीघा, खसरा संख्या 2997 में तीन बिस्वा, खसरा संख्या 2701 में पांच बीघा व खसरा संख्या 2699 में तीन बीघा सात बिस्वा भूमि पर आबाद है।
अब निकल जाएगी नियमों की फांस
कीरों का झोपड़ा को राजस्व गांव का दर्जा नहीं मिलने से गांव जिस भूमि पर बसा हुआ है वह भूमि आबादी में नियमन नहीं हो पाई। तीन दशकों से कई बार प्रशासन गांवों के संग अभियान निकल गए, लेकिन किसी भी अभियान मेें मजरे को गांव का दर्जा नहीं दिया। अब मजरा नैनवां के मास्टर प्लान में शामिल कर लिए जाने से नैनवां नगरपालिका की पेराफेरी बेल्ट में आ गया। नैनवां नगरपालिका की पेराफेरी बेल्ट में होने से राजस्थान भू राजस्व अधिनियम 1956 की धारा 90 ए के तहत अरबन रिजेबल लिमिट या पेराफेरी बेल्ट में नियमन करने पर लगाई रोक भी बाधा बन गई थी।

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