भारतीय उपमहाद्वीप में पाया जाने वाले इस पक्षी के कंधों पर एक सफेद निशान और पंखहीन सिर पर चमकदार लाल रंग का एक त्रिकोणीय टोपी जैसा निशान होता है। इसकी पूंछ नीले-हरे रंग की चमक के साथ काली होती है। जबकि गर्दन और शरीर भूरे और बिना चमक के होते हैं।
इस पक्षी को पानी वाले क्षेत्रों में देखा जा सकता है,खेतों में जुताई करने के बाद किसान पानी देते हैं तो ये पक्षी वहां आ जाते हैं। यह अपनी लंबी टेढ़ी चोंच से पानी व मिट्टी से निकलने वाले कीटों को खाने के लिए आते हैं। रेड-नैप्ड आइबिस का बूंदी जिले में प्रजनन काल मानसून के दौरान रहता है और एक बार में यह 4 से 5 अण्डे देता हैं और ऊंचे पेड़ों पर अपना घोंसला बनाता है या चील कौवों के छोड़े घोंसलों का फिर से निर्माण कर लेता है। जिले में इसके घोंसले सफेदे के पेड़ों पर व मोबाइल टावरों पर भी देखे गए हैं।
लाल गर्दन वाला आइबिस सर्वाहारी होता है,जो सड़ा हुआ मांस,कीड़े, मेंढक और अन्य छोटे कशेरुकी जीवों के साथ-साथ अनाज भी खाता है। ये पक्षी मुय रूप से सूखी खुली भूमि और ठूंठदार खेतों में चारा तलाशते नजर आते हैं।
रेड नेप्ड आइबिस पक्षी की राजस्थान में और विशेष रूप से हाड़ौती संभाग में स्थाई उपस्थिति अच्छा संकेत है। यह पक्षी काफी सुंदर व किसान मित्र है जिसका अध्ययन किया जा रहा है।
डॉ.मनीष सिंह चारण, पशु चिकित्सक एवं रेड नेप्ड आइबिस पक्षियों के अध्ययनकर्ता