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एक ओर शासन सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता की बात कह रही है, वही दूसरी ओर मूलभूत सुविधाएं नही होना
भले ही सरकार ने दूरदराज क्षेत्र के टोले और मजरों तक बिजली पहुंचा दी है लेकिन यह बिजली जिले के सरकारी स्कूलों में अब तक नहीं पहुंची है। आजादी के ७० साल बाद भी जिले के ५० प्रतिशत सरकारी स्कूलों में बिजली की सुविधा नहीं है। हालात यह है कि जिलेभर में कुल ९५६ सरकारी स्कूल संचालित हैं, इनमें से स्कूलों में अब तक बिजली कनेक्शन नहीं लगे हैं। जिससे वर्तमान में इन स्कूलों मेें अध्ययनरत छात्र छात्राओं को क्लास रूम में अंधेरे , गर्मी और घुटनभरे माहौल में शिक्षा गृहण करनी पड़ रही है। वहीं स्कूलों में शासन द्वारा उपलब्ध कराए गए कम्प्यूटर व तमाम बिजली उपकरण शोपीस बने हुए हैं।
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जिलेभर मेंं ९५६ सरकारी स्कूल संचालित हैं। ५९६ प्राथमिक स्कूल तथा ३६० उच्च प्राथमिक स्कूल शामिल हैं। सरकारी स्कूलों मेंं वर्तमान में ६५ हजार से अधिक छात्र- छात्राएं नामांकित हैं। मजे की बात यह है कि इन सरकारी स्कूल मेें किताब, साइकिल, यूनिफॉर्म और नियमित मध्याह्न भोजन जैसी सुविधा तो सरकार की तरफ से मुफ्त मिल रही है, लेकिन बच्चों को स्कूल में हवा और प्रकाश मयस्सर नहीं हैं। आरटीई के तहत बच्चों के लिए स्कूल में बुनियादी सुविधाएं अनिवार्य की गई है। लेकिन इसे विडंबना ही कहेंगे कि जिले में अभी तक प्राइमरी और मिडिल स्कूल मेंं बिजली की व्यवस्था नहीं हैं। बच्चों के साथ ही शिक्षक भी परेशान होते हैं। जिसका असर अध्यापन कार्य भी पड़ता है।
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शहर व कस्बों में भी गांव जैसे हालात-
जहां एक ओर ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में बिजली कनेक्शन नहीं हैं, वहीं दूसरी ओर शहर में भी हालात जुदा नहीं हैं। स्थिति यह है कि शहर में वर्तमान मेंं संचालित कई स्कूलों में बिजली की सुविधा नहीं हैं।
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अभिभावकों ने दान किए पंखे,पड़े हैं बंद-
सरकारी स्कूल में विभाग द्वारा जनसहयोग से जुटाई गई सुविधाओं का लाभ भी बच्चों को नहीं मिल पा रहा है। कई जगह स्थानीय अभिभावकों ने स्कूल में पंखे दान किए थे, मगर बिजली के अभाव में यह पंखे काम नहीं आ रहे हैं। हालांकि स्कूल में निरीक्षण पर आने वाले अधिकारियों को क्लास रूम मेंं शोपीस बने पंखे की जानकारी बच्चे दे चुके हैं, लेकिन मुश्किलें हल नहीं हुई।