जबकि छोटे पारे की वेस्टवेयर गांव के बीच होने से वेस्टवेयर का पूरा पानी ही गांव में होकर निकल रहा है। बांध की वेस्टवेयर की चादर का पानी गांव में घुसने से दुगारी गांव में पानी ही पानी ही पानी हो रहा है।गांव तीन भागों में बंट गया है। गलियों में एक से डेढ़ फीट पानी बह रहा है।गांव में पानी ही पानी हो जाने बाढ़ जैसी स्थिति बन गई है। चादर का पानी गांव के मुय बाजार में होकर गांव की गलियों में आ जाने से गांव तीन भागों में बंट हुआ है। गांव का छोटा पारा मोहल्ला, रेगर बस्ती, मैन मार्केट, सहित पूरे गांव के अन्य मोहल्लों का बस स्टैंड आने के लिए लोगों व विद्यार्थियों को पानी में निकलना पड़ रहा है।
लोगों की पीड़ा उनकी ही जुबानी
दुगारी निवासी मुकुटबिहारी दाधीच कहते है कि चादर के पानी की निकासी के लिए इसी वर्ष गांव के बाहर वाली बड़े पारे पर नई फाटक का निर्माण कराया गया, लेकिन डबल फाटक नहीं बनाने के कारण फाटक नहीं खोली जा सकी, जिससे गांव में पानी भरा हुआ है यदि फाटक को सही कर दिया जाए तो ऐसी स्थिति से बचा जा सकता है।
दुगारी निवासी युवक मोनू कुशवाह का कहना है कि चादर से आने वाले पानी के कारण गांव में अभी भी कई हिस्सों में पानी भरा हुआ है, जिससे ग्रामीणों को मैन मार्केट में आने जाने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, साथ ही गांव तीन हिस्सों में बंटा हुआ है। बस स्टॉप पर आने के लिए जान जोखिम में डाल कर पानी पार कर आना पड़ रहा है।
दुगारी निवासी ग्रहणी पिंकी खींची का कहना है कि चादर का पानी गांव में घुसने से सबसे ज्यादा परेशानी स्कूल जाने वाले बच्चों को झेलनी पड़ रही है। बड़े पारे पर वेस्ट वियर का जो पानी गांव के नाले से बांसी, रामगंज होते हुए मेज नदी में गिरता है जो पूरी तरह मिट्टी से भर जाने के कारण बांध का पानी इन गांवों के खेतों मे भरता है।
अतिक्रमण है मुख्य बाधा
बांध के छोटे पारे की वेस्टवेयर की ऊंचाई 8 इंच बढ़े। ओवर लो के पूरे पानी की निकासी बड़े पारे वाले वेस्टवेयर से हो। तब ही गांव में पानी घुसने की समस्या का समाधान हो सके, लेकिन समस्या यह बनी हुई है कि बड़े पारे के वेस्टवेयर का नाले पर अतिक्रमण हो रहा है। प्रशासन पहले नाले से अतिक्रमण हटा कर नाला चौड़ा कराए। जब तक नाले का अतिक्रमण नहीं हटेगा तब तक बड़े पारे की वेस्टवेयर से पूरे पानी की निकासी सभव नहीं है। वेस्टवेयर पर बनी फाटक तो नहर में पानी छोड़ने के लिए बनी है, जिसका अभी कार्य पूरा नही हो पाया।
प्रकाशचंद मीणा, एईएन, जलसंसाधन विभाग, नैनवां