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नहीं है कोई धणीधोरी:
नैनवां कस्बे के बीच कई प्रकार की पुरासम्पदा का साक्षी नैनवां के महल का कोई धणी-धोरी नही है। तहखाने तक में सेंधमारी हो चुकी। खंड में भी दीवारों के साथ ताकों में भी हो रही चित्रकारी खुरच रखी है। उत्तर की ओर स्थित के खंड को हवा महल के नाम से जाना जाता है जो शिल्प कला का बेजोड़ नमूना है। खम्भों व दीवारों पर कौडी के चूने का प्लास्टर होने से आज भी दमक रहे हैं।
महल के बाहर की दीवारों का प्लास्टर उखड़ जाने से क्षतिग्रस्त होती जा रही है। किले का बाहर का स्वरूप दमकता नजर आता है, लेकिन जब अन्दर घुसकर देखते है तो किला बदहाल हो रहा है। तहखाने में रखे शीशे की सिल्लियां, तोपों में रखे जाने वाले शीशे के गोले व अन्य पुरातत्व महत्व के सामान निकालकर ले गए। महल के विभिन्न कक्षों, बैशकीमती दरवाजों व जंगलों को भी तोड़ डाला। जालियों को भी तोडकर ले गए। आधे कक्षों की कक्ष की छत धराशायी होकर पड़ी है तो आधे कक्ष धराशाही होने के कगार पर है।
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पालिकाध्यक्ष का कहना:
पालिकाध्यक्ष प्रेमबाई गुर्जर ने कहा कि महल हमारी धरोहर है। स्थिति देखकर सुरक्षा के लिए पुरातत्व विभाग को लिखा जाएगा।