कपिल ने दोनों ही मूर्तियां जमीन में दबा रखी थी। टीम माटूंदा रोड मुक्तिधाम के पास एक भू-खंड पर पहुंची। मूर्तियों को जमीन से निकाला और देखा तो उनके खजूरी मंदिर की होने की पुष्टि हो गई।
संदिग्ध युवक कपिल जिन पत्थरों का ग्राहक ढूंढ रहा था उन्हीं पत्थरों ने उसे जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा दिया। विशेष शाखा के जवान हरिराम गुर्जर ने पत्थर के टुकड़ों को देखकर सूंघा तो उसमें से दूध की गंध आई। तभी टीम ने भांप लिया कि काले पत्थर के टुकड़े मूर्तियों के हैं। टीम में विशेष शाखा प्रभारी रंधावा के साथ कांस्टेबल नरेन्द्र कुमार, रघुवीर सिंह, कैलाश चौधरी भी शामिल थे।
मूर्ति चोरों ने जांच के लिए दोनों ही मूर्तियों के पैरों में तोडफ़ोड़ कर दी। इससे कुछ हिस्सा क्षतिग्रस्त हुआ बताया। करवर पुलिस को सौंपा
पुलिस अधीक्षक सिधु ने बताया कि आरोपित को मामले की जांच कर रहे करवर थाना प्रभारी रामगिलास को सौंप दिया। प्रेसवार्ता के दौरान अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक दशरथ सिंह भी मौजूद थे।