उन्होंने बताया कि इससे पहले जगुआर फाइटर प्लेन के लिए सेरेमिक से बने पुर्जे की सप्लाई की जा चुकी है। अब देश के सैनिकों के जीवन रक्षा के लिए बुलेटप्रूफ जैकेट की सेरेमिक लेयर पॉटरी नगरी में बनेगी। उन्होंने बताया कि मेक इन इंडिया के तहत भारत में बनने वाले अत्याधुनिक बुलेटप्रूफ जैकेट में यह लेयर लगाई जाएगी। उन्होंने बताया कि अलीगढ़ में डिफेंस कॉरिडोर का निर्माण हो रहा है। इससे खुर्जा का पॉटरी उद्योग को पंख लगेगे। इस समय सेरेमिक लेयर बनाने के लिए करीब 20 इकाइयों ने आवेदन किया है। उन्होंने बताया कि आवेदन के बाद आर्डर मिलने पर इसका उत्पादन जल्द ही शुरू कर दिया जाएगा।
खुर्जा में बनाए जाते हैं सिरेमिक उत्पाद खुर्जा को पॉटरी नगरी के नाम से जाना जाता है। ये उद्योग सैकड़ों साल पुराना है। यहां की इकाइयों में सिरेमिक उत्पाद बनाए जाते हैं। रक्षा से संबंधित सिरेमिक के उत्पादों के निर्माण के लिए यहां की इकाइयों से समय-समय पर संपर्क किया जाता रहा है। दरअसल अत्याधुनिक बुलेटप्रूफ जैकेट में डाले जाने वाला एक लेयर सिरेमिक से बनाया जाता है। ऐसे में उस लेयर को बनाने के लिए उद्यमियों से आवेदन मांगे गए हैं। पॉटरी कारोबारियों की माने तो वे इसकेा लेकर उत्साहित हैं। उन्हें उम्मीद है कि ऐसे असंख्य जैकेटों के लिए सिरेमिक लेयर बनाने का आर्डर मिलेगा।
बुलेटप्रूफ जैकेट में ऐसे काम करती है सिरेमिक लेयर बता दे कि बुलेटप्रूफ जैकेट दो लेयर में बनती है। सबसे ऊपर सिरेमिक लेयर होती है। उसके नीचे बैलिस्टिक लेयर लगाई जाती है। जब गोली बुलेटप्रूफ जैकेट से टकराती है तो सबसे पहले सिरेमिक लेयर पर लगती है। सिरेमिक लेयर इतनी मजबूत होती है कि इससे टकराते ही गोली का आगे वाला हिस्सा टूट जाता है। इससे गोली की गति कम हो जाती है। वहीं सिरेमिक लेयर से टकराने पर गोली से भारी मात्रा में एनर्जी निकलती है। नीचे वाली बैलिस्टिक लेयर इस एनर्जी को सोख लेती है। इससे जैकेट पहने हुआ व्यक्ति बच जाता है या मामूली घायल होता है।