Govardhan Puja 2019: गोवर्धन पूजा के दौरान भूलकर भी नहीं करने चाहिए ये 8 काम
गोवर्धन की कहानी (Govardhan Puja Katha) पंडित राज शर्मा कहते हैं कि पौराणिक कथा के अनुसार, द्वापर युग में ब्रज में इंद्र की पूजा की जाती थी, लेकिन श्री कृष्ण ने ब्रजवासियों से कहा कि हमे इंद्र की पूजा करके कोई लाभ नहीं होता। वर्षा करना तो उनका कर्म और दायित्व है और वह सिर्फ अपना कर्म कर रहे हैं। वहीं गोवर्धन पर्वत हमारी गायों का संरक्षण और भोजन उपलब्ध कराते हैं, जिसकी वजह से वातावरण भी शुद्ध होता है। इसलिए हमे इंद्रदेव की जगह गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए।
श्री कृष्ण की बात को समझते हुए सभी ने गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी शुरु कर दी, जिससे इंद्र क्रोधित हो उठे और मेघों को आदेश दिया की गोकुल का विनाश कर दो। इसके बाद गोकुल में भारी बारिश होने लगी। भगवान श्री कृष्ण ने सभी गोकुल वासियों को गोवर्धन पर्वत के संरक्षण में चलने के लिए कहा, जिसके बाद श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठिका उंगली यानी हाथ की सबसे छोटी उंगली पर उठा लिया और सभी ब्रजवासियों की इंद्र के प्रकोप से रक्षा की।
इंद्र ने अपने पूरे बल का प्रयोग किया, लेकिन उनकी एक न चली। जब इंद्र को ज्ञात हुआ कि भगवान श्री कृष्ण विष्णु भगवान का ही अवतार हैं तो उन्हें अपनी भूल का अहसास हुआ और वह भगवान श्री कृष्ण से क्षमा मांगने लगे। तब ही से गोवर्धन पूजा को विशेष महत्व दिया जाता है।
गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त गोवर्धन पूजा मुहूर्त – दोपहर 03:27 बजे से शाम 05:41 बजे तक
अवधि – 02 घण्टे 14 मिनट द्यूत क्रीड़ा प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ – सुबह 09:08 बजे से
प्रतिपदा तिथि समाप्त – शाम 06:13 बजे तक