इतिहासकारों का दावा है कि मां अवन्तिका देवी मन्दिर आहार गांव से 3 किलोमीटर दूर पर स्थित है। इस गांव को पहले कुंदनपुर के नाम से जाना जाता था। जिसके राजा भीष्म थे। जिनकी पुत्री रुकमणी थी। रुकमणी देवी गुफा द्वारा रोज अवंतिका देवी मंदिर में पूजा करने जाया करती थीं। राजा ने मंदिर के लिए एक गुफा तैयार कराई हुई थी। अवंतिका देवी मंदिर पर कुंड था। जिसमें रुकमणी देवी स्नान करने के बाद अवंतिका देवी मंदिर पर पूजा अर्चना करती थीं।
मान्यता है कि इस मंदिर में अवंतिका देवी जिन्हें अम्बिका देवी भी कहते हैं साक्षात् प्रकट हुई थीं। मंदिर में दो मूर्तियां हैं, जिनमें बाईं तरफ मां भगवती जगदंबा की है और दूसरी दायीं तरफ सतीजी की मूर्ति है। यह दोनों मूर्तियां ‘अवंतिका देवी’ के नाम से प्रतिष्ठित हैं।
इतिहासकारों का कहना है कि रुक्मणी ने मंदिर के पुजारी द्वारा एक खत लिखकर कृष्ण भगवान के पास भेजा था। इसके बाद ही भगवान कृष्ण ने रुक्मणी का हरण अवंतिका देवी मंदिर से किया था। जिसके बाद रुक्मणी के भाई सेेे भगवान कृष्ण का युद्ध हुआ था। जिसमें भगवान कृष्ण के भाई बलराम ने अपनी सेना के साथ यहां युद्ध लड़ा था। इस दौरान उन्होंने यहां सभी चीजों को हाल से उलट-पुलट कर दिया था।
बताया जाता है कि खुदाई के दौरान कई जगह आज भी यहां पर मकान उल्टे-सीधे निकलते हैं। मंदिर की एक बड़ी मान्यता है कि यहां आने वालों की सभी मान्यता पूरी हो जाती हैं। दूर-दूर से यहां लोग दर्शन करने आते हैं। वहीं नवरात्रि के दौरान यहां पर मेला भी लगता है। मंदिर केे पुजारी हिमांशु शर्मा ने बताया कि यहां पर नवरात्रों में लक्खी मेला लगता है। यहां पर दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। यहां पर जो भक्त देवी मां पर चोला चढ़ाता है उसकी मन की मुरादे पूरी हो जाते हैं।