जब लता मंगेशकर 33 साल की थीं तो उन्हें जहर दिया गया था। लेखिका पद्मा सचदेव की किताब किताब में इस घटना का जिक्र है। उनकी पुस्तक ‘ऐसा कहां से लाऊं’ में बताया गया कि— एक सुबह जब लता मंगेशकर सो कर उठीं, तो उन्हें पेट में तेज दर्द था। उन्हें उल्टियां हुईं, जिसमें हरे रंग का पदार्थ था। उनकी हालत इतनी ज्यादा खराब हो गई थी कि वह हिल भी नहीं पा रही थीं। यहां तक की इसके बाद वह तीन महीने तक गा भी नहीं पाई थीं।
दिया गया था जहर:
लता मंगेशकर की हालत खराब होने पर डॉक्टर को बुलाया गया। तुरंत उनका उपचार शुरू किया गया। दस दिन के बाद उनकी सेहत में सुधार हुआ। तब उन्हें डॉक्टर ने बताया कि जहर दिया गया था।
कहा जाता है कि जिस दिन लता मंगेशकर की तबीयत खराब हुई थी, उसी दिन उनका कुक नौकरी छोड़कर भाग गया था। यहां तक की वह अपना बकाया पैसा भी नहीं लेकर गया था। बाद में पता चला कि उस रसोइये ने कई फिल्ममेकर्स के यहां भी काम किया था।
बहन ने संभाला था रसोई का जिम्मा:
गौरतलब है कि लेखिका नसरीन मुन्नी कबीर के साथ एक साक्षात्कार में भी लता मंगेशकर ने इस घटना का उल्लेख किया था। उनके साक्षात्कार पर आधारित यह पुस्तक 2009 में प्रकाशित हुई थी। इस घटना के बाद घर में रसोई का काम उनकी छोटी बहन उषा मंगेशकर ने संभाल लिया और वही खाना बनाने लगीं।