बचपन में टीचर ने विक्रम बत्रा को लेकर की थी भविष्यवाणी, वाक्ये को याद कर छलक पड़े मां के आंसू
25 साल की उम्र में कारगिल युद्ध में विक्रम बत्रा वीरगति को प्राप्त हो गए थे। मरणोपरांत उन्हें सेना के सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र से नवाजा गया था। बेटे को यादकर आज भी उनके माता-पिता की आंखें नम हो जाती हैं।
नई दिल्ली। कारगिल युद्ध के हीरो कैप्टन विक्रम बत्रा पर आधारित फिल्म ‘शेरशाह’ रिलीज हो चुकी है। विक्रम बत्रा को युद्ध में शेरशाह कोड नेम दिया गया था और इसी नाम पर फिल्म का टाइटल रखा गया है। फिल्म में सिद्धार्थ मल्होत्रा कैप्टन विक्रम बत्रा का किरदार निभा रहे हैं और कियारा आडवाणी उनरी गर्लफ्रेंड डिंपल चीमा के रोल में नजर आ रही हैं। फिल्म को काफी पसंद किया जा रहा है। फिल्म देखने के बाद हर किसी के जुबान पर यहीं शब्द हैं- ‘ये दिल मांगे मोर।’
ये भी पढ़ें: Happy Independence Day 2021: कारगिल वॉर पर आधारित बॉलीवुड की ये फिल्में देती हैं देशभक्ति का संदेश 25 साल की उम्र में कारगिल युद्ध में विक्रम बत्रा वीरगति को प्राप्त हो गए थे। मरणोपरांत उन्हें सेना के सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र से नवाजा गया था। बेटे को यादकर आज भी उनके माता-पिता की आंखें नम हो जाती हैं। अब विक्रम बत्रा की मां का एक पुराना इंटरव्यू चर्चा में हैं। इस इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि एक टीचर ने बचपन में विक्रम बत्रा को लेकर भविष्यवाणी की थी जो बाद में जाकर सच साबित हुई थी।
वह कहती हैं, ‘जब विक्रम छोटे थे और प्राइमरी क्लास में पढ़ते थे तो हमारे एक साथी टीचर ने कहा था कि आपका बेटा बड़ा होकर जरूर कुछ ना कुछ करके दिखाएगा क्योंकि इसमें वो सारे गुण हैं। तब मैंने उनसे कहा था कि बड़े होने पर देखते हैं कि क्या होता है अभी तो मैं कुछ नहीं कह सकती। विक्रम बत्रा की शहादत के बाद वह फिर हमारे घर आए और उन्होंने मुझसे कहा कि मैंने आपको ये शब्द कहे थे आपको याद है। तो मेरी आंखों में से आंसू धारा निकल आई। मैंने उनसे कहा कि उसने वो बात सच सिद्ध करके दिखा दी। उसके बाद विक्रम बत्रा की मां कहती हैं कि वह शुरू से ही होनहार, मृदु स्वाभाव और बहादुर किस्म का बच्चा था।’
ये भी पढ़ें: फिल्म ‘शेरशाह’ में बेटे की शहादत वाले सीन पर कैसा था कैप्टन विक्रम बत्रा के माता-पिता का रिएक्शन? इससे पहले विक्रम बत्रा के पैरेंट्स ने शेरशाह फिल्म में उनके शहादत वाले सीन पर अपनी बात रखी थीं। उनके पिता ने कहा, ‘एक पाकिस्तानी सिपाही छिपकर गोली चलाता है और विक्रम बत्रा को तीन चार गोलियां लग जाती है। वो गोलियां उनके सीने पर जाकर लगती हैं। जिसके बाद वह गिर उनके मुंह से खून गिरने लगता है और वह दुर्गा माता की जय का नारा लगाते हैं। इसके बाद वह वीरगति को प्राप्त हो जाते हैं। यह हमारे लिए बहुत ही भावुक क्षण था।’