इस फिल्म को कई राज्यों उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, उत्तराखंड और गोवा में टैक्स फ़्री किया गया है. चलिए अब आपको बताते हैं कि अगर किसी फिल्म को टैक्स-फ्री (Tax Free) किया जाता है, तो इसका मतलब होता है. सिनेमाघरों में जब भी कोई फिल्म लगती हैं तो देखने वाले को टिकट के साथ टैक्स भरना होता है, लेकिन जब उस फिल्म को टैक्स-फ्री किया जाता है तो टिकट के साथ टैक्स को नहीं भरना पड़ता. इसका मतलब आपकी फिल्म की टिकट ऑटोमेटिक सस्ती हो जाती है. इसको ‘एंटरटेनमेंट टैक्स’ (Entertainment Tax) कहा जाता है.
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राज्य सरकार वसूलती है एंटरटेनमेंट टैक्सआमतौर पर उन फिल्मों को टैक्स फ्री किया जाता है, जो विषय लोगों तक पहुंचने जरूरी होते हैं और उनका समाज पर अच्छा और सकारात्मक प्रभाव पड़ता है. इसके अलावा इस कैटेगरी में राष्ट्रीय स्तर की फिल्में भी शामिल होती हैं, जैसे कि बड़ी और राष्ट्र से जुड़े शख्सियत पर बनी फिल्में हो या सांप्रदायिक सौहार्द्र को बढ़ावा देने वाली फिल्में हों. फिल्मों को टैक्स फ़्री करने या न करने का फैसला राज्य सरकार द्वारा लिया जाता है. रिपोर्ट के मुताबिक राज्य सरकार सिनेमाघरों से ‘एंटरटेनमेंट टैक्स’ वसूलती है, लेकिन साल 2017 से GST एक्ट भी लागू हो गया था.
मान लें कि किसी भी राज्य में फिल्म टिकट पर 18% GST लागू है और उस फिल्म को टैक्स फ्री कर दिया गया है तो टिकट पर 18% की जगह 9% ही GST लेगा. इसमें राज्य सरकार के हिस्से का 9% को माफ किया जाता है, क्योंकि हर राज्य आधिकारिक तौर पर अपने हिस्से का 50% टैक्स माफ़ करता है. इसलिए जो 9% टैक्स लगाया जाता है वो केंद्र सरकार के हिस्से का होता है.
इसके बाद से केंद्र सरकार ने फैसला किया था कि हर राज्य से फ़िल्मों की टिकट पर 28% GST भी लिया जाएगा. इस टैक्स से होने वाली कमाई का आधा हिस्सा राज्य सरकार और आधा केंद्र सरकार को जाएगा. बता दें कि अब तक जिन फिल्मों को रिलीज के बाद टैक्स-फ्री किया गया है, उनमें ‘टॉयलेट-एक प्रेम कथा’, ‘नीरजा’, ‘हिंदी मीडियम’, ‘मांझी: द माउंटेन मैन’, ‘एयरलिफ़्ट’, ‘दंगल’, ‘नील बटे सन्नाटा’, ‘सचिन: ए बिलियन ड्रीम्स’, ‘सरबजीत’ और ‘मैरी कॉम’ जैसी बेहतरीन और सानाज के कलियाण के लिए बनी फिल्में शामिल हैं.