इस फिल्म में ‘सन्नी देओल’ ने लीड रोल निभाया है और इस फिल्म का नाम ‘मोहल्ला अस्सी’ है। फिल्म की कहानी 1980 के दशक के अंत की है। फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे लोगों के मन में और सपने में राम मंदिर को लेकर आस्था है। फिल्म ‘मोहल्ला अस्सी’ की कहानी बनारस से शरू होती है और अयोध्या में खत्म होती है। यह फिल्म लोगों के मन में पल रहे राम मंदिर के भव्य सपने की कहानी बयां करती है। लेकिन ये फिल्म रिलीज होने से पहले ही विवादों में घिर गई और बैन हो गई।
राम मंदिर के लिए फूटती है एक क्रांति की लहर
फिल्म ‘मोहल्ला अस्सी’ करीब 6 साल तक विवादों में घिरी रही और इसे रिलीज होने में कई बार रुकावटें आईं। हालांकि 2018 में इस फिल्म को रिलीज किया गया। फिल्म की कहानी एक पुजारी ‘धर्मनाथ’ की है। यह पुजारी (सनी देओल) संस्कृत विद्यालय में बच्चों को संस्कृत सिखाता है और उन्हें ट्रांसलेशन (भाषा के विभिन्न भाषाओं में अनुवाद) करना सिखाता है। फिल्म के दौरान राम मंदिर के लिए एक क्रांति की लहर फूटती है, और इस क्रांति में फिल्म का हीरो, पुजारी भी शामिल होता है।
उपन्यास पर आधारित है फिल्म की कहानी
इस फिल्म की कहानी वास्तविक में 2004 में प्रकाशित हुई एक नोवल ‘काशी का अस्सी’ पर आधारित है। इस उपन्यास की कहानी ‘काशीनाथ सिंह’ ने रची थी। इस उपन्यास की कहानी साल 1988 में काशी शहर में शुरू होती है और फिल्म में 1990 के रामजन्मभूमि मूवमेंट के घटनाक्रमों को उजागर करती है। यह फिल्म साल 1988, 1990, और 1998 में हुए राम मंदिर के निर्माण संघर्षों और तब की समीपवर्ती परिस्थितियों पर ध्यान केंद्रित करती है।
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इस फिल्म को लेकर लोगों ने खूब विरोध किया और आपत्ति जताई थी। फिल्म में हद से ज्यादा गालियां और अभद्र भाषा को लेकर लोगों ने इसका विरोध किया था। इस कारण फिल्म रिलीज से पहले 6 साल तक अटकी रही। वैसे इस फिल्म के डायरेक्टर चंद्रप्रकाश द्विवेदी ने ‘मोहल्ला अस्सी’ को 2012 में बनाकर तैयार कर लिया था। लेकिन इसके रिलीज पर दिल्ली कोर्ट ने रोक लगा दी थी। फिर साल 2018 में सनी देओल की फिल्मको रिलीज किया गया। हालांकि रिलीज से पहले ही फिल्म कई ओटीटी प्लेटफॉर्म पर लीक हो गई थी। इस वजह से मेकर्स को तगड़ा नुकसान झेलना पड़ा था।