फिल्मी माहौल में हुई परवरिश
रजा मुराद के पिता मशहूर फनकार मुराद साहब थे। ऐसे में उनकी परवरिश फिल्मी माहौल में हुई। एक दिन उनके पिता ने कहा कि हमारे जमाने में इंस्टिट्यूट वाली यह सुविधा नहीं थी। आज है तो तुम इसका फायदा क्यों नहीं लेते। इसके बाद उन्होंने रजा का एडमिशन फिल्म इंस्टिट्यूट में करा दिया। उस इंस्टिट्यूट से से शत्रुघ्न सिन्हा, जया भादुड़ी, असरानी और रियाना सुल्तान जैसी हस्तियां निकलीं हैं।
पिता की मदद नहीं ली
रजा मुराद ने एक इंटरव्यू में बताया था,’जब हम फिल्म इंस्टिट्यूट से पढ़कर बाहर निकले, तो संघर्ष शुरू हो गया। मैंने कभी अपने पिता की मदद नहीं ली। अपनी तस्वीरें खिंचवाईं और उन्हें ऑफिस टू ऑफिस पहुंचाता था। फिल्म ‘एक नजर’ से डेब्यू किया था। इस फिल्म के लिए मुझे बेस्ट डेब्यू का अवॉर्ड भी मिला था। अवॉर्ड फंक्शन में इंडस्ट्री के बड़े-बड़े लोग आए थे। मैं खुशनसीब रहा कि पहली फिल्म में मुझे अवॉर्ड भी मिला, लेकिन संघर्ष जारी रहा।’
वर्ष 1973 में उनकी मुलाकात ऋषिकेश मुखर्जी से हुई। मुखर्जी उस वक्त ‘नमक हराम’ फिल्म बना रहे थे। गुलजार ने रजा की सिफारिश ऋषि दा से की थी। जब रजा उनसे मिलने के लिए गए तो मुखर्जी ने उन्हें बाहर सीढ़ियों पर बैठने को कह दिया। अपने काम से फ्री होकर वे एक्टर के पास गए और कहा,’मैं ज्यादा बात नहीं करूंगा, लेकिन इस फिल्म में जो रोल है, वह लकी एक्टर्स को बीस साल में एक बार मिलता है। अनलकी एक्टर्स को पूरी जिंदगी में ऐसा रोल नहीं मिलता।’ इसके बाद उन्होंने रजा को एक पायजामा और कुर्ता दिलाया और कहा कि तुम यही कपड़े पहनेगा, इसी को पहनकर सारे काम करेगा और जब शूटिंग पर आओगे, तो इसी को पहनकर आओगे और उस दिन नहाएगा भी नहीं।’ रजा ने इस फिल्म के लिए तुरंत हां कर दी।
दमदार आवाज
रजा मुराद को उनकी एक्टिंग के साथ दमदार आवाज के लिए भी जाना जाता है। भारी—भरकम आवाज में वे जब वे डायलॉग बोलते हैं तो सिनेमाघरों में तालियां बज उठती हैं। यहां तक की सुपरस्टार राजेश खन्ना भी उनकी आवाज के मुरीद हो गए थे। फिल्म ‘नमक हराम’ में लीड रोल राजेश खन्ना निभा रहे थे। शूटिंग में रजा का पहला दिन था और राजेश खन्ना के साथ सीन था। फिल्म को असिस्ट कर रहे नितिन मुकेश ने एक्टर को पहले ही चेतावनी दी थी कि लीड एक्टर चाहते थे कि फिल्म में शायर का रोल उनके गुरु वी.के. शर्मा करें और ऋषि दा माने नहीं, तो हो सकता है, वह तुमसे थोड़ा रूखा व्यवहार करें। हालांकि जब रजा ने शॉट दिया तो राजेश खन्ना ने भी देखा। इसके बाद उन्होंने रजा को बुलाकर कहा कि ‘तेरा शेर पढ़ने का अंदाज तो बिल्कुल कैफी आजमी साहब जैसा है’। यह उनके लिए बहुत बड़ा कॉम्प्लिमेंट था।
लाइफ का टर्निंग प्वाइंट
इसके बाद भी एक्टर का संघर्ष जारी रहा। फिल्म ‘प्रेम रोग’ उनकी जिंदगी का टर्निंग प्वॉइंट था। राज कपूर ने उनसे कहा कि फिल्म में ठाकुर विरेंद्र प्रताप सिंह के लिए हमारे जहन में सिर्फ आप हैं। जिंदगी का सुनहरा मौका समझकर उन्होंने तुरंत हां कर दी। इसके बाद उन्होंने राज कपूर की फिल्म ‘राम तेरी गंगा मैली’ में भी काम किया। इसके बाद उनके पास फिल्मों के आॅफर्स की लाइन लगने लगी।