नई दिल्ली। सदी के महानायक अमिताभ बच्चन सालों से इंडस्ट्री पर राज कर रहे हैं। उनके अभिनय और आवाज़ का जादू सालों बाद भी कायम हैं। लेकिन एक वक्त ऐसा आया जब अमिताभ बच्चन ने एक्टिंग के साथ-साथ राजनीति में हाथ अजमाने का फैसला लिया। जो कि उन्हें बाद में उनकी जिंदगी की सबसे बड़ी गलती लगी। इस दौरान अमिताभ बच्चन को एक बार राष्ट्रपति भवन में रात का खाना खाने का न्यौता दिया गया। हैरान कर देनी वाली बात ये थी कि इसके लिए राष्ट्रपति भवन नियम में बदलाव किया गया। जिसके लिए बकायदा संसद में पारित भी किया गया। चलिए आपको बतातें हैं कि आखिर वो कौन सा नियम था जिसे अमिताभ बच्चन के जाते ही बदल दिया गया।
खाने के प्लेट पर राष्ट्रीय प्रतीक देख भड़के अमिताभ बच्चन
बताया जाता है कि जब अमिताभ बच्चन राष्ट्रपति भवन डिनर करने के लिए कुर्सी पर बैठे तो उनकी नज़र उनके साथ रखी प्लेट पर गई। अमिताभ बच्चन ने देखा कि प्लेट पर अशोक स्तंभ का चिन्ह बना हुआ है जो कि राष्ट्रीय प्रतीक है। ये बात कुछ अमिताभ बच्चन को पसंद नहीं आई। अमिताभ बच्चन ने इस बात को संसद में रखा और प्लेट पर बने राष्ट्रीय चिन्ह के बारें में बताया।
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अशोक स्तंभ का अमिताभ बच्चन ने बताया अपमान
अमिताभ बच्चन ने संसद में कहा कि संसद में रखी प्लेट पर अशोक स्तंभ का चिन्हा नहीं बना होना चाहिए, क्योंकि वो एक राष्ट्रीय प्रतीक है। प्लेट पर राष्ट्रीय प्रतीक का होना उसका अपमान है। अमिताभ बच्चन ने जब बात कही तो सभी उनकी बातों से पूरी तरह से सहमती जताते हुए नज़र आए। जिसके कुछ दिनों बाद ही एक कानून पारित किया गया। जिसमें कहा गया कि संसद की खाने की प्लेटों में राष्ट्रीय प्रतीक का चिन्ह नहीं होगा।
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हेमवंती नंदन बहुगुणा के खिलाफ जीते थे चुनाव
आपको बता दें साल 1984 में अमिताभ बच्चन ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कहने पर इलाहाबाद से लोकसभा चुनाव लड़ा था। उन्होंने यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री हेमवंती नंदन बहुगुणा के खिलाफ ये चुनाव लड़े थे। जिसमें अमिताभ बच्चन ने जीत हासिल की थी। आपको जानकर हैरानी होगी कि उस समय में हेमवंती नंदन बहुगुणा को हराना बहुत भी मुश्किल हुआ करता था। बेशक अमिताभ बच्चन राजनीति को अलविदा कह चुके हैं, लेकिन फिल्मी जगत में अभी वो सक्रिय हैं।