जब ठान लिया तो करना ही था। मेरा परिवार चिंतित रहता था। उनसे वादा करता था कि आज बाहर जाने दो, लोग बुला रहे हैं, कल नहीं जाऊंगा। फिर अगली सुबह वादा तोड़कर निकल पड़ता था। कोरोना के डर के बीच जुनून था और लोगों की दुआओं का भरोसा भी। यह सिलसिला अब भी जारी है। हम विदेशों से भी भारतीयों को ला रहे हैं। अभी बहुत काम करना बाकी है।
सोनू ने कहा कि प्रवासियों की मुश्किल को समझने में चूक हुई है। लोग एकदम से सड़कों पर आ गए। कई लोग मारे गए, कई घायल हुए। हम उनके परिवारों की भी मदद की कोशिश में जुटे हैं।
घरों में कैद रहने के दौरान बिगड़ती मानसिक स्थिति के सवाल पर सोनू ने कहा कि फिक्र की बजाय हमें उम्मीद और हौसला रखना चाहिए। पॉजिटिव रहें, पहले जो था उससे भी ज्यादा अच्छा वक्त आएगा। कोरोना भी एक दिन जाएगा जरूर।
विभिन्न राज्यों के लोग मुझे हक से फोन करते पूछते थे, मेरे जाने का क्या बंदोबस्त किया। मैं आश्वस्त करता था कि आज नहीं हो पाया, कल जरूर भेजेंगे। क्योंकि लोगों की उम्मीदें थी, मैं रात दो बजे भी आने वाली फोन कॉल्स से कभी विचलित नहीं हुआ। धैर्य से जवाब दिया। मैं तो अपना काम करता रहा, लोगों के प्यार ने मुझे हीरो से सुपरहीरो बना दिया, जिसकी कल्पना नहीं की। मैं अकेला चला था, साथ में लोग जुड़ते चले गए। फिल्म इण्डस्ट्री और बाहर से मेरे ऐसे कई दोस्तों ने मदद की, उनका भी बहुत-बहुत शुक्रिया।
सोनू ने कहा, बॉलीवुड में भाई-भतीजावाद बहुत पुराना है। जब मैं आया था, तब भी था। सेलेब्रिटी किड्स को प्रोड्यूसरों के दफ्तरों में आसानी से दाखिला मिल जाता है। आउटसाइडर्स के लिए पहचान की चुनौतियां होती हैं, लेकिन हौसला रखें, अपने हुनर से हालात बदलें। यह एक चेन है, आप डिजर्व करते हैं तो कोई मुश्किल नहीं आएगी। राजनीति में आने के सवाल पर सोनू ने कहा कि 10 साल से फोन आ रहे हैं, लेकिन अभी वक्त एक्टिंग और लोगों की मदद का सुकून पाने का है। मैं राजनीति में नहीं जा रहा। मेरे पास पांच-छह फिल्मों की स्क्रीप्ट पड़ी है, जिन्हें पढऩे का वक्त लॉकडाउन में नहीं मिला।