मनोज वाजपेयी ने फिल्म इंडस्ट्री को बेहतरीन फिल्में दी हैं। उन्हें एक मंझा हुआ एक्टर माना जाता है। उन्होंने बताया कि मैं बिहार के एक गांव का रहना वाला (Bihari Manoj Bajpayee) हूं। जहां झोपड़ी के स्कूल में पढ़ाई किया करते थे। मेरे पिता किसान थे और हम पांच भाई-बहन थे। हालांकि मुझे बच्चन साहब (Amitabh Bachchan fan Manoj Bajpayee) की फिल्में देखना बहुत पसंद था। मैं उनकी तरह बनना चाहता था। तभी मैंने फैसला कर लिया था कि मैं एक्टर बनूंगा। हालांकि मैं एक ऐसे परिवार से था जहां सपने का कोई मतलब नहीं था लेकिन ये मेरे दिमाग से नहीं निकलता था। मैं किसी तरह अपनी पढ़ाई पूरी करता रहा। उसके बाद 17 की उम्र में मैंने थियेटर ज्वॉइन कर (Manoj Bajpayee joined theatre at 17) लिया। तब मुझे लगा कि अब पिता जी को बता देना चाहिए और मैंने उन्हें चिट्ठी लिखी। हालांकि उन्होंने मुझे 200 रुपए के रूप में फीस भेज दी लेकिन मेरे गांववालों को लगता था कि मैं बेकार हूं।
मनोज वायपेयी ने आगे कहा कि वहां से मेरा सफर शुरू हुआ। मैंने हिंदी और इंग्लिश सीखा और एनएसडी ज्वॉइन (Manoj Bajpayee in NSD) करने के लिए अप्लाई किया। जहां मुझे तीन बार रिजेक्शन झेलना (Manoj Bajpayee faced rejections) पड़ा। मैं एक आउटसाइडर था इसलिए मुझे बहुत मेहनत करनी थी। इस दौरान मुझे आत्महत्या के ख्याल भी आए (Manoj Bajpayee had suicide thoughts) तो मेरे दोस्त मेरा सपोर्ट बने। वो मुझे अकेला नहीं छोड़ते थे, मेरे साथ सोते थे। संघर्ष करते हुए मुझे पहला मौका फिल्म बैंडिट क्वीन (Bandit Queen) के लिए मिला। शेखर कपूर ने मुझे कास्ट किया था। मुझे इंडस्ट्री में फिट होने में काफी वक्त लगा। कई बार रिजेक्ट हुआ। कभी एक साथ कई प्रोजेक्ट्स चले गए। 5 दोस्तों के साथ एक छोटे से कमरे में रहा करता था। दिनभर काम ढूंढता था फिर कोशिश करता था। मेरी पर्सनालिटी एक हीरो जैसी नहीं दिखती थी तो मुझे निकाल दिया जाता था।
मनोज वाजपेयी ने अपनी पहली सैलरी (Manoj Bajpayee first salary) को याद करते हुए बताया कि उन्हें महेश भट्ट की टीवी सीरीज के लिए 1500 रुपए मिले थे। उसके बाद धीरे-धीरे वो आगे बढ़ते गए। कई अवॉर्ड अपने नाम किए। 67 फिल्में कर चुके हैं और सफर अभी जारी है। उन्होंने मानना है कि एक 9 साल के बच्चे के विश्वास ने उन्हें एक्टर बनाया है।