11 नवंबर, 1936 को कलकत्ता के ईसाई परिवार में माला सिन्हा का जन्म हुआ था। वो फिल्मों में आने से पहले कलकत्ता ऑल इंडिया रेडियो यानी आकाशवाणी में लोकगीत गाया करती थीं, जब माला महज 16 साल की थी। उन्होंने साल 1947 से 1975 तक कई भाषाओं में मंच पर गायन किया। उनके माता-पिता मूल रूप से नेपाल के रहने वाले थे। माला के जन्म से पहले ही वे कलकत्ता आकर बस गए। बचपन में माला का नाम आलडा रख गया था, लेकिन उनकी सहेलियां व दोस्त उन्हें डालडा कहकर चिढ़ाते थे। इस परेशानी को देख माता-पिता ने नाम बदलकर माला रख दिया।
माला सिन्हा को बचपन से ही गीत और नृत्य में बड़ी दिलचस्पी थी। इसी को देखकर उनके किसी जानने वाले ने उन्हें अभिनय के क्षेत्र में जाने को कहा। प्रतिभा और सौंदर्य से धनी माला सिन्हा ने उनके विचार में अपना आनेवाला कल देख लिया था। इस तरह माला सिन्हा ने अपने करियर की शुरुआत एक बांग्ला फिल्म च्जय वैष्णो देवीज् में एक बाल कलाकार के रूप में की।
धूल का फूल लेकर आया माला की सफलता माला के अभिनय करियर में यश चोपड़ा के निर्देशन बनी फिल्म ‘धूल का फूल’ का महत्वपूर्ण योगदान रहा। लोगों ने इस फिल्म में माला का एक नया अंदाज देखा। इसके बाद फिर उन्होंने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा। वर्ष 1950 से लेकर 1960 के दशक तक सौ से अधिक हिंदी फिल्मों में अपने अभिनय के जलवे बिखेरे। इस तरह माला ने कई फिल्मों में अपनी अदाओं से दर्शकों को मोहती रहीं और नया कीर्तिमान स्थापित कर लिया।
माला सिन्हा की शादी माला सिन्हा का विवाह मुंबई में 1968 में चिदंबर प्रसाद लोहनी से हुआ। इसके बाद दोनों ने नेपाली फिल्म च्माइती घरज् में साथ में काम किया। माला सिन्हा की बेटी भी मां की तरह एक सफल अदाकारा बनना चाहती थी पर बेटी प्रतिभा को मां जितनी शोहरत नहीं मिल सकी।
माला सिन्हा की यादगार फिल्में माला सिन्हा की यादगार फिल्मों की बात करें तो च्प्यासाज्, च्धूल का फूलज्, च्दिल तेरा दीवानाज्, च्गुमराहज् और च्हिमालय की गोद मेंज् जैसी फिल्मों ने दर्शकों को खूब पसंद आई। इसके अलावा च्पैसा ही पैसाज्, च्नया जमानाज्, च्फैशनज्, च्प्यासाज्, च्परवरिशज्, च्लव मैरिजज्, च्मायाज्, च्सुहाग सिन्दूरज्, च्धर्मपुत्रज्, च्अपने हुए परायेज्, च्बहू बेटीज् व च्नई रोशनीज् जैसी फिल्मों में भी उन्होंने अपने अभिनय की छाप छोड़ी।
सादगी की भरा जीवन माला बड़ी अभिनेत्री बनीं, लेकिन किसी को उनमें जरा भी घमंड नहीं दिखा। आज भी वह सादगी भरा जीवन व्यतीत करती हैं। आज की नई अभिनेत्रियां उनसे काफी कुछ सीखकर अभिनय के क्षेत्र में आगे बढ़ सकती हैं।