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मदन मोहन और लता की कहानी
ये किस्सा सन 1948 का है जब लता फिल्म ‘आंखें’ में नहीं गा सकीं। यतीन्द्र नाथ मिश्र की किताब ‘लता सुर गाथा’ के एक पन्ने में इस कहानी का जिक्र है। दरअसल, लता ने मदन मोहन के साथ अपने रिश्ते की कहानी सुनाते हुए बताया था कि एक बार मदन मोहन लता के घर पहुंचे, उस दिन रक्षाबंधन था।
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मदन मोहन इस बात से बेहद दुखी थे कि उनकी पहली फिल्म में लता नहीं थीं। फिर वे लता को घर ले गए और कहा, ‘आज राखी है, तो ये लो राखी और मेरी कलाई पर बांधो। मदन मोहन ने लता से कहा कि तुम्हें याद है जब हम पहली बार मिले थे तब हमने भाई-बहन का गीत गाया था। आज से तुम मेरी छोटी बहन और मैं तुम्हारा मदन भैया। आज से तुम अपने भाई की हर फिल्म में गाओगी।’बड़ी बात ये है कि मदन मोहन के निधन के बाद भी उन्होंने लता से किया हुआ वादा निभाया। दरअसल जब 2004 में फिल्म ‘वीर-जारा’ में मदन मोहन के कम्पोजिशन को यूज किया गया तब सारे गानें लता मंगेशकर ने ही गाए थे। इसके पहले भी 1975 में मदन मोहन के निधन के बाद रिलीज हुईं तकरीबन 6 फिल्मों में उनका संगीत लिया गया।