हाल ही में मनोज बाजपेयी ने न्यूज18 को दिए एक इंटरव्यू में कहा, “रिकॉर्ड बनाने की आवश्यकता ने निर्देशकों और निर्माताओं को मनी माइंडिड बना दिया है। मैंने हमेशा बॉक्स ऑफिस के प्रति जुनून के खिलाफ बोला है। मेरा हमेशा से मानना रहा है कि इसने हमारे देश में फिल्म निर्माण की संस्कृति को बर्बाद कर दिया है। लोगों के चेहरे पर नंबर फेंकना सही बात नहीं है।”
इस पर बात करते हुए मनोज बाजपेयी ने कहा, ”हम जानते थे कि ‘एनिमल’ और ‘सैम बहादुर’ दो बहुत बड़ी फिल्में हैं। दोनों फिल्मों पर काफी पैसा खर्च किया गया था। ‘एनिमल’ को लेकर एक प्रचार था और अब भी है। लेकिन हम अपनी फिल्म पर इतना पैसा खर्च नहीं कर सकते थे। क्योंकि ‘जोरम’ एक अलग तरह की फिल्म थी। हम इसे बढ़ावा देने और प्रचारित करने के लिए केवल एक निश्चित राशि ही खर्च कर सकते थे।”
इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि वे अपनी फिल्म पर बहुत अधिक बोझ नहीं डालना चाहते थे और वे इसे लेकर बहुत व्यावहारिक और यथार्थवादी थे। मनोज बाजपेयी ने आगे बताया कि कैसे अधिक कलेक्शन क्रेज की चाहत ने सिनेमा की प्रामाणिकता को बर्बाद कर दिया है। उन्होंने इस बात पर भी निराशा व्यक्त की कि कैसे दर्शकों ने भी वही भाषा बोलना शुरू कर दिया है।