‘डर’ के लिए यश चोपड़ा ने पहले आमिर खान से सम्पर्क किया था। आमिर को लगा कि उन्हें जो किरदार दिया जा रहा है, वह महिलाओं के खिलाफ हिंसा को प्रेरित करता है। उन्होंने यश चोपड़ा का प्रस्ताव नामंजूर कर दिया। यह किरदार बाद में शाहरुख खान ने अदा किया। मंसूर खान के निर्देशन में बनी ‘कयामत से कयामत तक’ (1988) से आमिर खान की कामयाबी का सफर शुरू हुआ था। मंसूर उनके भतीजे हैं। उनकी दो और फिल्मों (जो जीता वही सिकंदर, अकेले हम अकेले तुम) में काम करने के बाद आमिर ने ‘जोश’ (2000) में काम करने से इनकार कर दिया, क्योंकि उन्हें किरदार पसंद नहीं आया। यह किरदार शाहरुख खान ने अदा किया। कथानक पसंद नहीं आने पर आमिर ने ‘हम आपके हैं कौन’ ठुकराई तो इसमें सलमान खान की एंट्री हुई।
लॉरेंस डिसूजा ‘साजन’ (1991) आमिर खान और सलमान खान के साथ बनाना चाहते थे। यहां भी आमिर को किरदार नहीं जमा, जो बाद में संजय दत्त ने अदा किया। दक्षिण की मेलो-ड्रामा फिल्में भी उन्हें रास नहीं आतीं। दक्षिण के स्टार डायरेक्टर शंकर उन्हें लेकर ‘नायक’ बनाना चाहते थे। उनके इनकार के बाद यह फिल्म अनिल कपूर को मिली। उनके द्वारा ठुकराई गई दूसरी प्रमुख फिल्मों में ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’, ‘स्वदेश’, ‘बजरंगी भाईजान’, ‘मोहब्बतें’, ‘दिल तो पागल है’ और ‘1942 ए लव स्टोरी’ शामिल हैं। इनमें से कई फिल्मों ने कारोबारी रेकॉर्ड तोड़े, लेकिन इन्हें छोडऩे का उन्हें कोई पछतावा नहीं है। उनका मानना है कि जिस फिल्म से दिल न जुड़े, उसमें काम करना न्यायसंगत नहीं होगा।
हुलिया बदलने में माहिर
आमिर खान फिल्म के किरदार के हिसाब से हुलिया बदलने में माहिर हैं। वह जितनी सहजता से तीन बेटियों का बुजुर्ग पिता (दंगल) बनते हैं, उसी सहजता से दिलफेंक नौजवान (दिल चाहता है) या फूली हुई मांसपेशियों वाला एक्स-बिजनेसमैन (गजनी) बन जाते हैं। वह ठेठ ग्रामीण (लगान) भी बन जाते हैं और शहरी शिक्षक (तारे जमीन पर) भी। आने वाली फिल्म ‘लाल सिंह चड्ढा’ में भी उनका हुलिया एकदम अलग होगा।
घरेलू बैनर के तले सार्थक फिल्में
आमिर खान ने 1999 में आमिर खान प्रॉडक्शंस नाम से निर्माण संस्था शुरू की। इस बैनर की पहली फिल्म ‘लगान’ को ऑस्कर के लिए नामांकन मिला। यह बैनर सार्थक फिल्मों पर जोर दे रहा है। इसकी प्रमुख फिल्मों में ‘तारे जमीन पर’, जाने तू या जाने न, धोबी घाट, पीपली लाइव, तलाश, ‘दंगल’ और ‘सीक्रेट सुपर स्टार’ शामिल हैं।