जाकिर हुसैन ने गुरू को पीछे छोड़ दिया:
जाकिर हुसैन के चाहने वाले पूरी दुनिया में मौजूद हैं। उनकी अंगुलियों और तबले में गजब का मेल है। उस्ताद जाकिर हुसैन उन चंद कलाकारों में से हैं, जिन्होंने अपने वालिद जो कि उनके उस्ताद भी थे, को लोकप्रियता के पैमाने पर पीछे छोड़ दिया।
बाप-बेटे की जोड़ी मंच पर करती थी कमाल:
जाकिर हुसैन और उनके पिता को अक्सर दूरदर्शन के संगीत कार्यक्रमों में देखा जाता था। आज जब भी तबले की बात की जाती है तो सबसे पहला नाम उस्ताद जाकिर हुसैन का आता है।
3 साल की उम्र में तबला सीखना शुरू किया था जाकिर ने:
करीब 3 साल की उम्र में जाकिर हुसैन ने अपने पिता से ‘पखावज थाप’ बजाना सीखाना शुरू कर दिया था। उस्ताद अल्ला रक्खा खान हिंदुस्तान के जाने-माने कलाकारों में से एक थे। उनकी तालीम और जाकिर हुसैन की काबिलियत ही थी कि जल्दी ही जाकिर ने तमाम कार्यक्रमों में शिरकत करना शुरू कर दिया था।
ग्रैमी अवॉर्ड जीत चुके हैं जाकिर हुसैन :
विश्व स्तर पर भारतीय शास्त्रीय संगीत को पहचान दिलाने वाले जाकिर हुसैन को कई अवॉर्ड्स से नवाजा जा चुका है। महज 37 साल की उम्र में भारत सरकार ने उन्हें ‘पद्मश्री’ से सम्मानित किया। उन्होंने सबसे कम उम्र में ये सम्मान हासिल किया। वहीं 51 साल की उम्र में उन्हें सबसे बड़े नागरिक सम्मान ‘पद्मभूषण’ से नवाजा गया। इसके अलावा जाकिर हुसैन को संगीत नाटक अकादमी अवॉर्ड, ग्रैमी अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है।