दरअसल, बताया जाता है कि आशा को आमिर खान के चाचा और फिल्मेकर नासिर हुसैन से प्यार था, लेकिन नासिर साहब पहले से शादीशुदा थे और आशा पारेख उनका घर नहीं तोड़ना चाहती थीं। दोनों पहली बार 1959 में आई फिल्म ‘दिल देके देखो’ के सेट पर मिले थे। उस दौरान आशा पारेख लीड रोल में थीं वहीं नासिर फिल्म का निर्देशन कर रहे थे। इस फिल्म में आशा के अपोजिट शम्मी कपूर थे। उस वक्त आशा की उम्र मात्र 17 साल थीं। इसके बाद नासिर के साथ आशा ने 1971 में आई ‘कारवां’ में काम किया। बस फिर क्या था, साथ काम करते-करते दोनों की दोस्ती प्यार में बदल गई, लेकिन नासिर हुसैन पहले से शादीशुदा थे इसलिए आशा पारेख ने अपने कदम पीछे हटा लिए।
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इस पूरे वाक्या का जिक्र आशा पारेख की ऑटोबायोग्राफी ‘द हिट गर्ल’ में दिया हुआ है। इतना ही नहीं कुछ साल पहले आईएनएस को दिए इंटरव्यू में भी आशा ने कहा था,’मैंने आज तक सिर्फ नासिर साहब से ही प्यार किया है। ऑटोबायोग्राफी लिखना व्यर्थ होता अगर उसमें उनका जिक्र ना हो, जो मेरी जिंदगी में महत्व रखते हैं।’ खास बात ये थी कि उनकी किताब के लॉन्च पर नासिर साहब की बेटी नुसरत और उनके पोते एक्टर इमरान खान भी आए थे।
उसी इंटरव्यू में आशा ने ये भी बताया, ‘मैं कभी घर तोड़ने वाली नहीं थी। मेरे और नासिर साहब के परिवार के बीच कभी दूरियां नहीं थी। मेरे बुक लॉन्च पर नुसरत और इमरान को देखकर मैं खुश थी। मुझे लगता है मैंने अपनी जिंदगी अच्छे से जी, बिना किसी को दर्द पहुंचाए।’