नवाजुद्दीन सिद्दीकी की पहल
फिल्मी सितारों, खिलाडिय़ों और राजनीतिज्ञों की बायोपिक का सिलसिला तो काफी समय से चल रहा है, शायद पहली बार फिल्म वालों का ध्यान किसी लोक कलाकार की तरफ गया है। पहल नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने की है, जो तीजन बाई के पुराने मुरीद हैं। बायोपिक में तीजन बाई का किरदार विद्या बालन अदा करेंगी। विद्या बायोपिक विशेषज्ञ होती जा रही हैं। दक्षिण फिल्मों की सनसनी सिल्क स्मिता (द डर्टी पिक्चर) और गणितज्ञ शकुंतला देवी की बायोपिक के अलावा वह अभिनेता भगवान दादा की मराठी बायोपिक ‘एक अलबेला’ में गीता बाली के किरदार में नजर आ चुकी हैं।
नाना ब्रजलाल ने प्रेरित किया
तीजन बाई की बायोपिक में उनके नाना ब्रजलाल का भी अहम किरदार होगा। नाना से बचपन में सुनी गईं महाभारत की कहानियों ने ही तीजन बाई को पंडवानी गायन के लिए प्रेरित किया। जब गांव के लोग ‘बहू-बेटियों की लाज-शर्म’ की दुहाई देकर तीजन के गायन-वादन का विरोध कर रहे थे, तब नाना ने ही उन्हें ‘मस्त रहो मन मस्ती में’ का सबक सिखाया। उनका हौसला बिखरने नहीं दिया। बायोपिक में नाना का किरदार अमिताभ बच्चन को सौंपा जा सकता है। फिल्म में तीजन बाई के गांव गनियारी के कुछ ग्रे किरदार भी होंगे, जिन्होंने कभी गांव वालों को तीजन के खिलाफ इतना भड़काया था कि वे उनकी झोपड़ी में आग लगाने जा पहुंचे थे। आज तीजन बाई उसी गनियारी गांव की आंख का तारा हैं।
कापालिक शैली अपनाई तीजन बाई ने
महाभारत 18 पर्वों का महाकाव्य है। पंडवानी में इसकी कथा 18 दिन में पूरी होती है। तीजन बाई के उदय से पहले छत्तीसगढ़ के ही पूनाराम निषाद और झाड़ूराम देवांगन का पंडवानी गायन में बड़ा नाम था। इस गायन की दो शैलियां हैं- वेदमती और कापालिक। झाड़ूराम देवांगन वेदमती शैली के लिए मशहूर रहे, जबकि तीजन बाई ने कापालिक शैली अपनाई। उन्होंने नृत्य, अभिनय और लोकरंगों से इस शैली को नए आयाम दिए। जब वह तंबूरा बजाते हुए ओजस्वी स्वर में कथा सुनाती हैं, तो मीरा की तरह ‘मेरो तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई’ के रंग में रंगी नजर आती हैं।